Ayushman Bharat Yojana: देश भर में कई राज्य सरकारें प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना का लाभ उठा रही हैं, जिसमें लोगों को ₹5 लाख तक का मुफ्त इलाज मिलता है। लेकिन दिल्ली अब तक इस योजना को लागू नहीं कर पाई थी। हालाँकि, अब दिल्ली सरकार इसे अपनाने पर विचार कर रही है। मुख्यमंत्री आतिशी ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए हैं कि वे इस योजना को दिल्ली में लागू करने के लिए उपाय ढूंढें। आइए जानते हैं इस योजना के दिल्ली में लागू होने से होने वाले लाभ और संभावित बदलाव के बारे में।
आयुष्मान भारत योजना
आयुष्मान भारत योजना केंद्र सरकार की प्रमुख स्वास्थ्य योजना है, जो गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को उच्च गुणवत्ता का मुफ्त इलाज प्रदान करती है। इसके तहत अस्पताल में भर्ती होने से लेकर इलाज की सभी सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं, जिसमें ₹5 लाख तक का बीमा कवर होता है। यह योजना 2018 में शुरू हुई थी और अब तक लाखों लोगों को लाभ पहुंचा चुकी है। खास बात यह है कि अब 70 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों को भी इस योजना के तहत सार्वभौमिक कवरेज में शामिल किया गया है।
दिल्ली में योजना की शुरुआत के संकेत
दिल्ली सरकार ने कई बार आयुष्मान भारत योजना की आलोचना की थी, लेकिन अब मुख्यमंत्री आतिशी की अगुवाई में सरकार इसे लागू करने के पक्ष में दिख रही है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा हाल ही में प्रस्तुत किए गए आंकड़ों से यह साफ हुआ कि अगर दिल्ली सरकार केंद्र की आयुष्मान भारत योजना को अपनाती है, तो इसके खर्च में काफी कटौती हो सकती है। आतिशी ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे इस योजना को लागू करने के तरीके तलाशें, ताकि राज्य की मौजूदा योजनाओं को खत्म किए बिना इसे कार्यान्वित किया जा सके।
दिल्ली सरकार की मौजूदा योजना
दिल्ली सरकार की मौजूदा योजना में सरकारी अस्पतालों में इलाज मुफ्त होता है, और यदि सर्जरी या जांच में काफी देरी हो रही हो, तो मरीज को निजी अस्पताल में रेफर किया जाता है, जहाँ सरकार सारा खर्च उठाती है। यह दिल्ली आरोग्य कोष योजना का हिस्सा है, जो गरीब मरीजों के लिए उपलब्ध है।
हालांकि, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने यह पाया कि दिल्ली सरकार की योजना के तहत निजी अस्पतालों में मुफ्त इलाज पाने वाले लगभग 7,000 मरीजों में से केवल एक का बिल ₹5 लाख से ऊपर था। इसका मतलब है कि अगर दिल्ली सरकार आयुष्मान भारत योजना को अपनाती है, तो अधिकतर मरीज इस योजना के तहत आते, और सरकारी खर्च में भी कमी आती।