IAS Story: राजस्थान के श्री गंगानगर के रहने वाले डॉ. राजेंद्र पेंसिया ने अपनी कड़ी मेहनत और संघर्ष से प्रशासनिक सेवा में सफलता प्राप्त की। उनका जीवन संघर्ष और संकल्प का प्रतीक है, जिसने न केवल उनकी व्यक्तिगत यात्रा को प्रेरित किया बल्कि हजारों युवाओं को भी प्रेरित किया है। उनकी सफलता की कहानी यह साबित करती है कि कठिनाइयों के बावजूद अगर आत्मविश्वास और परिश्रम हो, तो कोई भी सपना सच हो सकता है।
डॉ. राजेंद्र का जन्म 10 अगस्त 1983 को श्री गंगानगर, राजस्थान में हुआ था। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा के बाद कॉमर्स स्ट्रीम से बीकॉम किया। इसके बाद, उन्होंने 2005 में सरकारी टीचर के रूप में काम करना शुरू किया। हालांकि, राजेंद्र के मन में हमेशा से प्रशासनिक सेवा का सपना था, और वह कभी भी अपने इस लक्ष्य के लिए मेहनत करना नहीं छोड़ते थे।
टीचर के रूप में कार्य करने के बावजूद, राजेंद्र पेंसिया ने कभी भी अपने आईएएस (IAS) के सपने को छोड़ने का नहीं सोचा। उन्होंने RAS (राज्य प्रशासनिक सेवा) परीक्षा में भी सफलता प्राप्त की और BDO (ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर) के पद पर नियुक्त हुए। यह कदम उनकी मेहनत और संघर्ष की दिशा में एक बड़ा कदम था, लेकिन उनका सपना अभी भी पूरा नहीं हुआ था।
राजेंद्र पेंसिया ने अपनी यात्रा में कभी हार नहीं मानी। उन्होंने 2011 में RAS परीक्षा में आठवीं रैंक प्राप्त कर डिप्टी कलेक्टर के पद पर कार्यभार संभाला। इसके बाद, उन्होंने एसडीएम (Sub-Divisional Magistrate) बनने के बाद भी UPSC की परीक्षा की तैयारी जारी रखी। राजेंद्र ने चार बार IAS की परीक्षा दी, लेकिन हर बार असफलता हाथ लगी।
लेकिन 2015 में उन्होंने पांचवे प्रयास में सफलता प्राप्त की और IAS के पद पर चयनित हुए। उनका यूपीएससी के पांचवे प्रयास में 345वीं रैंक प्राप्त करने की सफलता ने यह साबित कर दिया कि मेहनत और धैर्य के साथ कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
डॉ. राजेंद्र पेंसिया अब IAS अधिकारी बन चुके हैं, और उनकी कार्यशैली को लोग सराहते हैं। हाल ही में, उत्तर प्रदेश के संभल जिले में चल रहे दंगे-फसाद को लेकर उन्होंने महत्वपूर्ण कदम उठाए।
संभल में जामा मस्जिद से जुड़ी अफवाहों के कारण स्थिति खराब हो रही थी, जिससे स्थानीय लोगों की जान भी खतरे में थी। इन घटनाओं को रोकने के लिए डॉ. राजेंद्र पेंसिया ने जिले में नो एंट्री का आदेश दिया और इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया। इसके साथ ही, जिले के सभी स्कूल-कॉलेज भी अगले आदेश तक बंद कर दिए गए। उनकी इस तेज़ प्रतिक्रिया ने जिले में शांति बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
डॉ. राजेंद्र पेंसिया का मानना है कि सपने बड़े होना चाहिए, और उनके अनुसार संघर्ष और मेहनत ही किसी भी इंसान को सफलता तक पहुंचाने की कुंजी है। उन्होंने खुद अपने जीवन में इस सिद्धांत को अपनाया और हमें यह सिखाया कि असफलता कभी भी अंतिम नहीं होती, बल्कि यह सफलता की ओर एक कदम और बढ़ने का अवसर होता है।