Kheti: इस राज्य के किसानों की चमकी किस्मत, इस चीज से खेती से कमा रहे लाखों

By Vikash Beniwal

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Kheti: बिहार में पारंपरिक खेती की जगह अब नगदी फसलों की खेती ने ली है, और इस बदलाव में स्ट्रॉबेरी की खेती एक प्रमुख स्थान पर है। ओबरा प्रखंड के किसान इस नये कृषि प्रयोग को अपनाकर न केवल अच्छा लाभ कमा रहे हैं, बल्कि पूरे राज्य में इस खेती की चर्चा भी हो रही है। इस लेख में हम बिहार में स्ट्रॉबेरी की खेती की प्रक्रिया, फायदे और इसके बढ़ते आकर्षण पर चर्चा करेंगे।

स्ट्रॉबेरी की खेती

पारंपरिक कृषि से हटकर स्ट्रॉबेरी की खेती में बदलाव दिखाने वाले किसान अब इस क्षेत्र में बढ़ोतरी कर रहे हैं। शंकरपुर गांव के किसान मिथलेश कुमार, जिन्होंने पिछले 5 वर्षों से स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की, अब 15 बीघा में इस फल की खेती कर रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप उन्हें हर साल 10 लाख रुपये से अधिक की कमाई हो रही है।

स्ट्रॉबेरी की खेती के फायदे

स्ट्रॉबेरी के पौधे बलुई दोमट मिट्टी में अच्छे से उगते हैं। पाइपलाइन सिस्टम से किसानों को पौधों को नियमित पानी मिल पाता है, जिससे फसल की गुणवत्ता बनी रहती है।स्ट्रॉबेरी की खेती का समय सितंबर से अक्टूबर तक होता है, और यह दिसंबर से जनवरी के बीच तैयार हो जाती है।

स्ट्रॉबेरी की खेती से किसानों को कितना मुनाफा?

स्ट्रॉबेरी की खेती से किसानों को अच्छा मुनाफा मिल रहा है। इसका बाजार मूल्य 350 रुपये प्रति किलो तक होता है, और यह फल बिहार के बाहर के बड़े शहरों जैसे कोलकाता, बनारस और पटना में भेजा जाता है। स्ट्रॉबेरी की अधिक बिक्री से किसानों को अपनी लागत से 3-4 गुना अधिक मुनाफा हो रहा है।

Vikash Beniwal

मेरा नाम विकास बैनीवाल है और मैं हरियाणा के सिरसा जिले का रहने वाला हूँ. मैं पिछले 4 सालों से डिजिटल मीडिया पर राइटर के तौर पर काम कर रहा हूं. मुझे लोकल खबरें और ट्रेंडिंग खबरों को लिखने का अच्छा अनुभव है. अपने अनुभव और ज्ञान के चलते मैं सभी बीट पर लेखन कार्य कर सकता हूँ.