Haryana: हरियाणा सरकार ने राज्य में कार्यरत अस्थायी कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत की घोषणा की है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के निर्देश पर राज्य सरकार ने उन सभी कर्मचारियों को नियमित करने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है, जो 20 साल से अधिक समय से अस्थायी रूप से काम कर रहे हैं। यह कदम राज्य सरकार की तरफ से एक अहम पहल मानी जा रही है, जिससे हजारों कर्मचारियों को पक्की नौकरी मिलने की उम्मीद बढ़ गई है।
अस्थायी कर्मचारियों का नियमितीकरण
हरियाणा सरकार ने अस्थायी कर्मचारियों को नियमित करने के लिए कैडर पदों का सृजन करने की मंजूरी दी है। इसके बाद, अब अस्थायी कर्मचारियों को नियमित पदों पर नियुक्ति पत्र जारी किए जाएंगे, साथ ही उन्हें परिणामी वित्तीय लाभ भी मिलेगा। मुख्य सचिव कार्यालय के प्रस्ताव के आधार पर वित्त विभाग ने इस योजना पर अपनी मुहर लगा दी है।
20 साल से अधिक समय से कार्य कर रहे सभी अस्थायी कर्मचारियों को रेगुलर किया जाएगा। सरकार जल्द ही अस्थायी कर्मचारियों को रेगुलर पदों के लिए नियुक्ति पत्र जारी करेगी। कर्मचारियों को नियमित होने के बाद वित्तीय लाभ मिलेगा।सरकार ने 2 हफ्ते के भीतर यह प्रक्रिया पूरी करने का वादा किया है।
उच्च न्यायालय का आदेश और सरकार की जवाबदेही
हरियाणा सरकार के इस निर्णय के बाद, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई की। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि यदि सरकार द्वारा दिए गए समय सीमा के भीतर कार्यवाही नहीं की जाती है, तो याचिकाकर्ता फिर से अदालत से सुनवाई की मांग कर सकते हैं। इसके अलावा, सरकार के संबंधित अधिकारियों को मुकदमेबाजी के खर्च के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा, और उन्हें प्रत्येक याचिकाकर्ता को 50 हजार रुपये का भुगतान करना होगा।
उच्च न्यायालय का संदेश
हाई कोर्ट ने यह कहा था कि जब एक कर्मचारी 10 साल से ज्यादा समय से काम कर रहा है और पद उपलब्ध है, तो राज्य सरकार का कर्तव्य बनता है कि वह उस पद को नियमित करे। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार को अपने कर्मचारियों का ध्यान रखना चाहिए और ऐसे निर्णय नहीं लेने चाहिए, जिससे कर्मचारियों के नियमितीकरण के दावे खारिज हो जाएं।
क्यों महत्वपूर्ण है यह निर्णय?
इस निर्णय से राज्य के हजारों अस्थायी कर्मचारियों को फायदा होगा। 20 साल से ज्यादा समय से अस्थायी रूप से काम कर रहे कर्मचारियों के लिए यह एक सुनहरा अवसर है, क्योंकि उन्हें अब पक्की नौकरी मिल सकेगी। इस कदम से न केवल कर्मचारियों के जीवन स्तर में सुधार होगा, बल्कि राज्य प्रशासन में भी स्थिरता आएगी।