Haryana News : चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने बोर्ड, निगम, पंचायती राज संस्थाओं व स्थानीय निकाय संस्थाओं की जमीन खरीद प्रक्रिया सरल कर दी है। अब जमीन खरीद की मंजूरी की मुहर मुख्यमंत्री दे सकेंगे। इससे पहले उच्चाधिकार प्राप्त भूमि क्रय समिति इसे मंजूर करती थी, जिससे जमीन की खरीद-फरोख्त में काफी समय लग जाता था। अब सीधे मुख्यमंत्री इसकी मंजूरी दे सकेंगे। इस बारे में राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डाॅ. सुमिता मिश्रा की ओर से अधिसूचना भी जारी कर दी गई है।
अब मुख्यमंत्री की मंजूरी से होगी जमीन बिक्री, प्रक्रिया हुई सरल
हरियाणा सरकार ने जमीन खरीद प्रक्रिया को लेकर बड़ा बदलाव किया है। अब बोर्ड, निगम, पंचायती राज संस्थाएं और स्थानीय निकाय संस्थाओं की जमीन की बिक्री के लिए उच्चाधिकार प्राप्त भूमि क्रय समिति की मंजूरी की आवश्यकता नहीं होगी। इसकी जगह अब मुख्यमंत्री स्वयं मंजूरी दे सकेंगे, जिससे प्रक्रिया तेज होगी और फालतू देरी से राहत मिलेगी।
जमीन खरीद में समय की होगी बचत
राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा की ओर से इस संबंध में आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी गई है। अब तक यह प्रक्रिया लंबी और जटिल थी, लेकिन नई व्यवस्था के तहत मुख्यमंत्री की स्वीकृति से सीधे निर्णय लिया जा सकेगा।
किन शर्तों पर मिल सकेगी मुख्यमंत्री की मंजूरी?
नए नियमों के अनुसार, यदि कोई बिल्डर या निजी संस्था बोर्ड, निगम या अन्य संबंधित संस्था की जमीन को खरीदना चाहती है और कलेक्टर रेट के चार गुना या पिछले साल की दो ऊंची सेल डीड के औसत मूल्य में से जो अधिक हो, उस कीमत पर खरीदने को तैयार है, तो मुख्यमंत्री की मंजूरी से जमीन बेची जा सकेगी।
आवेदन की प्रक्रिया और भुगतान की शर्तें
इसके लिए बिल्डर या संस्था को कुल राशि की 25 प्रतिशत अग्रिम राशि के साथ संबंधित विभाग या संगठन के प्रमुख को आवेदन देना होगा। इसके बाद प्रस्ताव को मुख्यमंत्री की स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा, जो अंतिम फैसला देंगे। यह प्रक्रिया तेज और पारदर्शी मानी जा रही है।
बिल्डरों को अप्रोच रोड के लिए होती थी ज़रूरत
राजस्व विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कई बार बिल्डरों को अपने प्रोजेक्ट्स के लिए अप्रोच रोड बनाने हेतु निगम या बोर्ड की जमीन की आवश्यकता होती है। ऐसे मामलों में भूमि क्रय समिति से मंजूरी मिलने में देरी होती थी और कई बार बैठकें न होने या प्रक्रियागत अड़चनों की वजह से योजनाएं अटक जाती थीं।
लंबे समय से मांग, अब मिली राहत
भूमि विक्रय प्रक्रिया में देरी से संबंधित शिकायतें लंबे समय से आ रही थीं। बिल्डर लॉबी और अन्य संस्थाएं सरकार से प्रक्रिया आसान करने की मांग कर रही थीं। अब मुख्यमंत्री को सीधे मंजूरी देने का अधिकार देकर व्यवस्था में सरलता और त्वरित निर्णय की संभावना को बढ़ाया गया है।
राज्य सरकार को भी मिलेगा आर्थिक लाभ
इस फैसले से राज्य सरकार को भी वित्तीय लाभ होगा। चूंकि जमीन बिक्री उच्च दरों पर होगी, इससे राजस्व बढ़ेगा और जमीन की वाजिब कीमत पर पारदर्शिता बनी रहेगी। साथ ही, विकास कार्यों को गति मिलेगी।