Haryana: हरियाणा सरकार ने राज्य के कॉलेजों में काम कर रहे एक्सटेंशन और गेस्ट लेक्चरर्स के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। अब इन शिक्षकों को सेवानिवृत्ति तक नौकरी की सुरक्षा का आश्वासन मिलेगा, जिससे उनके भविष्य को स्थिरता मिलेगी और राज्य में शिक्षा के स्तर में सुधार हो सकेगा। यह निर्णय हाल ही में पारित हुए “हरियाणा एक्सटेंशन लेक्चरर और गेस्ट लेक्चरर (सेवा की सुरक्षा) विधेयक 2024” के तहत लिया गया है। इस कदम से राज्य के 2,062 शिक्षक लाभान्वित होंगे, जिनमें 2,016 एक्सटेंशन लेक्चरर्स और 46 गेस्ट लेक्चरर्स शामिल हैं।
“हरियाणा एक्सटेंशन और गेस्ट लेक्चरर्स (सेवा की सुरक्षा) विधेयक 2024” क्या है?
हरियाणा विधानसभा ने इस विधेयक के तहत एक्सटेंशन और गेस्ट लेक्चरर्स के लिए सेवा सुरक्षा सुनिश्चित की है। इस कानून के अनुसार, जो शिक्षक 15 अगस्त 2024 तक कम से कम 5 साल की सेवा पूरी कर चुके हैं, उन्हें सेवानिवृत्ति तक नौकरी की सुरक्षा और वित्तीय प्रोत्साहन मिलेगा।
यह कदम न केवल इन शिक्षकों के लिए एक सकारात्मक बदलाव है, बल्कि इससे राज्य में शिक्षा के स्तर को भी बढ़ावा मिलेगा। इसके अतिरिक्त, इन शिक्षकों को हर साल महंगाई भत्ते (डीए) के हिसाब से 57,700 रुपये प्रति माह का पारिश्रमिक मिलेगा।
इस विधेयक के माध्यम से, हरियाणा सरकार ने उन एक्सटेंशन और गेस्ट लेक्चरर्स को भी वित्तीय प्रोत्साहन देने का निर्णय लिया है जो रेगुलर भर्ती के लिए आयु सीमा पार कर चुके हैं। अब उन्हें न केवल सेवा की सुरक्षा मिलेगी, बल्कि वे शिक्षा के प्रति अपने समर्पण को भी महसूस करेंगे।
अब इन शिक्षकों को भविष्य में नौकरी खोने का डर नहीं होगा। यह कदम शिक्षा क्षेत्र में स्थिरता और विकास को बढ़ावा देगा। हर वर्ष महंगाई भत्ते के अनुसार 57,700 रुपये प्रति माह का पारिश्रमिक मिलेगा। शिक्षक अपनी नौकरी में स्थिरता महसूस करेंगे, जिससे वे अपनी कक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन करेंगे, और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा।
हरियाणा राज्य में कुल 184 सरकारी कॉलेज हैं, जिनमें 8,137 सहायक प्रोफेसर के स्वीकृत पद हैं। हालांकि, इनमें से केवल 3,348 नियमित सहायक प्रोफेसर कार्यरत हैं, जबकि शेष शिक्षण कार्य एक्सटेंशन और गेस्ट लेक्चरर्स द्वारा किया जा रहा है।
इस विधेयक के द्वारा सरकार ने इन शिक्षकों के लिए स्थिरता और सुरक्षा की गारंटी दी है, जिससे शिक्षा क्षेत्र को मजबूती मिलेगी। इसके साथ ही, कॉलेजों में पढ़ाई की गुणवत्ता में भी सुधार होगा, क्योंकि अब शिक्षक निश्चिंत होकर अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करेंगे।