Agriculture News: इस पेड़ की खेती से बरसेगा पैसा ही पैसा, किसान भाइयों को आजमाकर देखना चाहिए

By Vikash Beniwal

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Agriculture News: भारत की सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा चंदन अब किसानों के लिए एक नई और लाभकारी कृषि गतिविधि बन सकता है। चंदन का पेड़ सदियों से पूजा, आयुर्वेद, और सौंदर्य प्रसाधनों में उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही, अब भारतीय शोधकर्ताओं ने इस पेड़ की खेती को उत्तर भारत के जलवायु में अनुकूल बनाने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। इस तकनीकी पहल से न केवल किसानों को आर्थिक समृद्धि मिल सकती है, बल्कि चंदन उत्पादन में भी देशभर में वृद्धि हो सकती है।

चंदन का पेड़ भारतीय संस्कृति से गहरे जुड़े हुए हैं। इसे पूजा में तिलक लगाने के अलावा हवन, अगरबत्तियों, परफ्यूम, और अरोमा थेरेपी में भी इस्तेमाल किया जाता है। आयुर्वेद में चंदन का उपयोग कई औषधियों को तैयार करने में किया जाता है। इस पेड़ की लकड़ी की मांग घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में हमेशा बनी रहती है, जिससे इसकी खेती लाभकारी बन सकती है।

चंदन के पेड़ की कीमत समय के साथ बढ़ती है। 15 साल के बाद एक पेड़ की कीमत लगभग ₹70,000 से ₹2 लाख तक हो सकती है। यदि कोई किसान 50 पेड़ भी लगाए तो 15 साल बाद यह ₹1 करोड़ के करीब हो सकता है। चंदन की खेती से सवा आठ लाख रुपये तक की वार्षिक आय हो सकती है। इसके अलावा, चंदन के पौधों के साथ फलदार पेड़ भी लगाए जा सकते हैं, जो अतिरिक्त आय का स्रोत बन सकते हैं। चंदन की खेती एक दीर्घकालिक निवेश है। यह एक बार में बहुत बड़ा लाभ नहीं देता, लेकिन 15-20 साल में यह किसानों को अच्छे-खासे लाभ की उम्मीद दे सकता है।

चंदन की खेती में एक प्रमुख चुनौती इसके बढ़ने के लिए उपयुक्त वातावरण का होना है। दक्षिण भारत में चंदन की खेती अधिक होती है, लेकिन उत्तर भारत में इसके लिए उपयुक्त जलवायु नहीं थी। केंद्रीय मृदा एवं लवणता अनुसंधान संस्थान करनाल ने इस समस्या का समाधान निकाला है और चंदन के पौधों के क्लोन विकसित किए हैं, जो उत्तर भारत के वातावरण में भी अच्छी तरह से बढ़ सकते हैं।

चंदन की खेती में किसानों को कुछ खास तकनीकी जानकारियों की जरूरत होती है, जैसे चंदन के पौधों को एक-दूसरे से उचित दूरी पर लगाना चाहिए ताकि उनकी जड़ें एक-दूसरे से जुड़ न पाएं। चंदन को कम पानी की जरूरत होती है, लेकिन इसकी सही देखभाल के लिए उचित सिंचाई और खाद की आवश्यकता होती है। चंदन के पेड़ के साथ दलहनी फसलें उगाई जा सकती हैं, जो कम पानी वाली होती हैं।

चंदन का पौधा परजीवी पौधा होता है, यानी यह अपनी खुराक दूसरे पौधों की जड़ों से प्राप्त करता है। इसलिए चंदन के पौधों के पास पड़ोसी पौधों को लगाना जरूरी है। यह पौधे अपनी जड़ों को पड़ोसी के पौधों से जोड़कर उनका पोषण लेते हैं। इसके अलावा, चंदन की खेती के लिए शोध और तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है, जिससे किसानों को इस क्षेत्र में बेहतर सफलता मिल सकती है। संस्थान द्वारा किसानों को चंदन की खेती की तकनीक और इसके साथ अन्य फसलें लगाने के तरीके पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

Vikash Beniwal

मेरा नाम विकास बैनीवाल है और मैं हरियाणा के सिरसा जिले का रहने वाला हूँ. मैं पिछले 4 सालों से डिजिटल मीडिया पर राइटर के तौर पर काम कर रहा हूं. मुझे लोकल खबरें और ट्रेंडिंग खबरों को लिखने का अच्छा अनुभव है. अपने अनुभव और ज्ञान के चलते मैं सभी बीट पर लेखन कार्य कर सकता हूँ.