Agriculture News: उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के प्रगतिशील किसान राम अवतार ने पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर शिमला मिर्च की खेती में सफलता प्राप्त की है। पहले गेहूं और धान की खेती करने वाले राम अवतार ने पारंपरिक खेती में होने वाले नुकसान के बाद शिमला मिर्च की खेती को अपनाया। आज उनकी मेहनत और वैज्ञानिक पद्धतियों के कारण वह सालाना लाखों का टर्नओवर कर रहे हैं और उनकी खेती ने न सिर्फ उनके परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारी है, बल्कि आसपास के किसानों को भी प्रेरित किया है।
शिमला मिर्च की खेती ने राम अवतार को एक नए रास्ते पर चलने का मौका दिया है। उनके अनुसार, शिमला मिर्च की खेती में लागत कम आती है, बाजार मूल्य अच्छा मिलता है, और समय की बचत भी होती है। इसके अलावा, यह फसल अपेक्षाकृत जल्दी उगती है, जिससे किसान जल्दी लाभ कमा सकते हैं।
शिमला मिर्च की खेती में कम निवेश की आवश्यकता होती है और इसे अच्छे बाजार मूल्य पर बेचा जा सकता है। यह फसल जल्दी तैयार होती है, जिससे किसान जल्द लाभ कमा सकते हैं। राम अवतार की सफलता ने आसपास के किसानों को भी शिमला मिर्च की खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया।
राम अवतार के अनुसार, शिमला मिर्च की खेती के लिए सबसे अच्छा तापमान 30 से 35 डिग्री सेल्सियस होता है। हालांकि, 40 डिग्री तक तापमान बढ़ने पर भी शिमला मिर्च की खेती की जा सकती है। यदि तापमान इससे ज्यादा बढ़ता है, तो मिर्च एक तरफ से पीला पड़ने लगता है, जिससे फसल की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।
राम अवतार अपनी शिमला मिर्च को गोंडा जिले की नवाबगंज सब्जी मंडी और गोंडा सब्जी मंडी में सप्लाई करते हैं। शिमला मिर्च का बाजार मूल्य इस समय ₹50 से ₹80 प्रति किलो तक है, जो कि समय और गुणवत्ता के हिसाब से बदलता रहता है। शिमला मिर्च का यह रेट किसानों को अच्छा मुनाफा प्रदान करता है।
राम अवतार ने शिमला मिर्च की खेती को 2 साल पहले शुरू किया था। इससे पहले वह धान और गेहूं की खेती करते थे, लेकिन उन्हें उसमें नुकसान होने के बाद उन्होंने शिमला मिर्च की खेती करने का निर्णय लिया। इस नए व्यवसाय ने न सिर्फ उनकी आर्थिक स्थिति सुधारी, बल्कि आसपास के किसानों को भी खेती के नए तरीकों को अपनाने के लिए प्रेरित किया।