Breaking News : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने “मन की बात” कार्यक्रम में संविधान निर्माताओं को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए भारतीय संविधान की महत्ता और उसकी सामर्थ्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान हमारे राष्ट्र की आधारशिला है और यह समय की हर कसौटी पर खरा उतरा है। संविधान के प्रति प्रधानमंत्री मोदी का यह संबोधन राष्ट्र की संविधानिक संप्रभुता और लोकतांत्रिक प्रणाली के महत्व को रेखांकित करता है।
संविधान की ताकत पर प्रधानमंत्री मोदी का संदेश
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में संविधान की उत्कृष्टता और स्थिरता को सराहा। उन्होंने कहा कि संविधान निर्माताओं ने जिस तरह से संविधान तैयार किया, वह न केवल समाजिक न्याय बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रतीक बना। हमारे संविधान निर्माताओं ने जो संविधान हमें सौंपा, वह समय की कसौटी पर खरा उतरा है। यह संविधान हमें समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के सिद्धांतों के साथ आगे बढ़ने की दिशा दिखाता है।”
भारतीय संविधान की स्थिरता और विकास
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारतीय संविधान ने भारतीय लोकतंत्र को न केवल स्थिरता दी है, बल्कि देश के नागरिकों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक भी किया है। उन्होंने यह बताया कि समय के साथ संविधान में अनुकूल बदलाव भी किए गए हैं, ताकि यह समाज की जरूरतों और समय की मांग के अनुसार आगे बढ़ सके।
संविधान और भारतीय लोकतंत्र की ताकत
पीएम मोदी ने भारतीय लोकतंत्र की मजबूती को संविधान से जोड़ते हुए कहा कि संविधान ने हमेशा ही भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था को सतत विकास और समाज के हर वर्ग के लिए समान अवसर देने के लिए प्रेरित किया है। उन्होंने आगे कहा:
भारतीय संविधान में बदलाव की आवश्यकता
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संविधान के मूल सिद्धांतों को मजबूती से पालन करना बहुत जरूरी है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि संविधान को समय के साथ प्रासंगिक बदलाव करने की आवश्यकता हो सकती है, ताकि यह समाज की बदलती जरूरतों के अनुरूप बना रहे।
प्रधानमंत्री ने दिए सुझाव
प्रधानमंत्री ने संविधान के प्रति सम्मान और उसके प्रभावी कार्यान्वयन पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि संविधान के प्रारंभिक निर्देशों को समझना और उसका पालन करना प्रत्येक भारतीय नागरिक की जिम्मेदारी होनी चाहिए।