underground ocean: वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक ऐसी खोज की है जो मानव जाति के लिए चकित करने वाली है. उन्होंने पृथ्वी की परतों के नीचे लगभग 643 किलोमीटर की गहराई में एक विशाल समुद्र (subterranean ocean) का पता लगाया है. यह खोज भूवैज्ञानिकों के लिए एक बड़ी सफलता है क्योंकि इससे पृथ्वी के भू-जलवायु प्रणाली की बेहतर समझ मिल सकती है.
रिंगवुडाइट
वैज्ञानिकों ने जिस चट्टान में यह पानी खोजा है. उसे ‘रिंगवुडाइट’ (Ringwoodite) कहा जा रहा है. यह चट्टान विशेष रूप से पानी को अपने अंदर समाहित करने की क्षमता रखती है. रिंगवुडाइट चट्टान में पानी एक स्पंज की तरह जमा होता है, जो पृथ्वी के अंदरूनी हिस्सों में जल के व्यवहार और चक्र को समझने में मदद कर सकता है.
भूकंपीय अध्ययन से खुलासा
यह खोज भूकंपीय अध्ययनों (seismic studies) के दौरान की गई थी. वैज्ञानिकों ने पाया कि भूकंप की लहरें जब रिंगवुडाइट चट्टान से गुजरती हैं, तो उनमें कुछ असामान्य परिवर्तन होते हैं. ये परिवर्तन पानी की उपस्थिति को दर्शाते हैं. इस जानकारी से वैज्ञानिकों को इस नए महासागर की मौजूदगी का संकेत मिला.
जलवायु परिवर्तन पर असर
इस खोज से जलवायु परिवर्तन (climate change) के अध्ययन में भी नई दिशाएँ मिल सकती हैं. यदि पृथ्वी के नीचे इतनी बड़ी मात्रा में पानी मौजूद है, तो यह हमारे ग्रह के जल चक्र और जलवायु प्रणाली को प्रभावित कर सकता है. इस जल स्रोत का सही प्रबंधन और अध्ययन भविष्य में हमारे ग्रह के स्थायित्व के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है.
वैज्ञानिक समुदाय में उत्साह
इस खोज ने वैज्ञानिक समुदाय में खासी उत्साह की लहर (scientific excitement) दौड़ा दी है. यह खोज न केवल भूविज्ञान की किताबों में नए अध्याय जोड़ेगी, बल्कि यह भविष्य की खोजों के लिए नई संभावनाओं को भी खोलेगी. अब वैज्ञानिक समुदाय इस महासागर की और गहराई में जानकारी प्राप्त करने के लिए अधिक शोध और अध्ययन करेगा.