Horn OK Please: भारतीय हाईवे पर यात्रा करते समय आपने निश्चित ही रंग-बिरंगे ट्रकों को देखा होगा. जिन पर विभिन्न शायरी, स्लोगन और नारे लिखे होते हैं. इन सभी में सबसे आम और चर्चित वाक्य ‘Horn OK Please’ है, जो कि भारतीय ट्रकों का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है. यह स्लोगन न केवल ट्रक ड्राइवरों की आदतों का हिस्सा है बल्कि इसने लोगों की जिज्ञासा और बॉलीवुड फिल्मों तक को प्रेरित किया है.
‘Horn OK Please’ का महत्व
ट्रकों के पीछे ‘हॉर्न ओके प्लीज’ लिखने का मुख्य उद्देश्य यह है कि यदि कोई वाहन ट्रक को ओवरटेक (overtake) करना चाहता है, तो वह हॉर्न बजाकर ट्रक ड्राइवर को सूचित कर सकता है. यह प्रथा विशेषकर इसलिए अपनाई जाती है. क्योंकि ट्रक बड़े होते हैं और ड्राइवर के लिए हर दिशा में नजर रखना संभव नहीं होता. इस तरह यह स्लोगन सड़क सुरक्षा (road safety) को बढ़ावा देता है और दुर्घटनाओं को कम करने में मदद करता है.
महाराष्ट्र सरकार का प्रतिबंध और ध्वनि प्रदूषण
एक समय महाराष्ट्र सरकार ने कॉमर्शियल वाहनों पर ‘हॉर्न ओके प्लीज’ लिखने पर प्रतिबंध लगा दिया था. सरकार का मानना था कि इस तरह के स्लोगन अन्य वाहनों को अधिक हॉर्न बजाने के लिए प्रेरित करते हैं जिससे ध्वनि प्रदूषण (noise pollution) में वृद्धि होती है. इस प्रतिबंध का उद्देश्य ध्वनि प्रदूषण को कम करना था.
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और विकास
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब ईंधन की कमी थी. ट्रकों में केरोसिन का उपयोग होता था. ‘On Kerosene’ से ‘OK’ और बाद में ‘Horn OK Please’ का विकास हुआ. यह बदलाव न केवल भाषाई बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है. यह दर्शाता है कि कैसे भाषा समय के साथ अपने आसपास की स्थितियों के अनुसार ढल जाती है.
Horn OK Please स्लोगन की उपयोगिता
आज के समय में जब डीजल व्यापक रूप से उपलब्ध है और सड़कें बेहतर हुई हैं. ‘Horn OK Please’ की प्रासंगिकता में कमी आई है. लेकिन फिर भी यह स्लोगन अपने ऐतिहासिक महत्व के कारण ट्रकों पर बना हुआ है. यह स्लोगन अब भारतीय सड़क संस्कृति का एक अभिन्न अंग है और यह वाहन चालकों के बीच संवाद का एक अनूठा माध्यम बना हुआ है.