Haryana Rain Alert: हरियाणा में इन दिनों मौसम लगातार बदल रहा है. दिन और रात के तापमान में उथल-पुथल जारी है. पिछले 24 घंटों के आंकड़ों के अनुसार दिन का अधिकतम तापमान 0.1 डिग्री और रात का न्यूनतम तापमान 0.2 डिग्री सेल्सियस बढ़ा है. इस बदलाव के कारण रात का औसत तापमान सामान्य से 3.9 डिग्री अधिक हो गया है. शुक्रवार को महेंद्रगढ़ में रात का तापमान 15.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो राज्य में सबसे कम था.
पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव
हरियाणा के मौसम में इस बदलाव का मुख्य कारण पश्चिमी विक्षोभ है, जो 11-12 नवंबर को असर दिखा सकता है. पश्चिमी विक्षोभ पहाड़ी इलाकों में ऊंची चोटियों पर बर्फबारी का कारण बन सकता है और हरियाणा में बादल छाने की संभावना है. इस साल अक्टूबर में बारिश नहीं हुई, जिसके कारण सामान्य से अधिक तापमान देखा गया. विशेषज्ञों का अनुमान है कि नवंबर में भी ऐसा ही रुख रह सकता है, हालांकि पश्चिमी विक्षोभ के कारण कुछ क्षेत्रों में तापमान में हल्की गिरावट आ सकती है.
नवंबर में बारिश की संभावना कम
अक्टूबर से अब तक हरियाणा में बारिश नहीं हुई है, जिससे तापमान सामान्य से अधिक बना हुआ है. पिछले कुछ वर्षों में अक्टूबर और नवंबर के महीनों में हल्की बारिश देखने को मिलती थी, लेकिन इस साल मौसम की यह सामान्य स्थिति नहीं देखी गई. मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि नवंबर में भी बारिश की संभावना बहुत कम है, जिससे तापमान में कोई बड़ी गिरावट की उम्मीद नहीं की जा सकती.
बदलते तापमान का असर फसलों पर
मौसम में हो रहे इस बदलाव का असर किसानों और उनकी फसलों पर पड़ सकता है. तापमान में लगातार हो रही बढ़ोतरी से मिट्टी में नमी की कमी हो रही है, जिससे फसलों की बुआई में देरी हो सकती है. किसानों को इस बदलते मौसम को ध्यान में रखते हुए फसलों की योजना बनाने की आवश्यकता है.
गेहूं की बुआई का सही समय
हरियाणा के किसानों के लिए इन दिनों गेहूं की बुआई का सही समय है. भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. राजेंद्र सिंह छौक्कर का कहना है कि अक्टूबर के आखिरी सप्ताह से नवंबर के तीसरे सप्ताह तक गेहूं की बुआई का समय बेस्ट माना जाता है. 25 अक्टूबर से 5 नवंबर तक की बुआई को अगेती बुआई माना जाता है, जो उपज बढ़ाने में सहायक होती है. ऐसे में अब नवंबर के मध्य तक गेहूं की बुआई का यह मौसम किसान भाइयों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.
बुआई के समय का महत्व
गेहूं की बुआई का समय किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि सही समय पर बुआई से फसल की उपज और क्वालिटी में बढ़ोतरी होती है. अक्टूबर के अंत से नवंबर के मध्य तक की बुआई को सबसे उचित समय माना जाता है, क्योंकि इस समय मौसम ठंडा और नमी से भरपूर होता है. सही समय पर बुआई करने से फसल में पोषक तत्वों का सही वितरण होता है और उत्पादन बेहतर होता है.
अगेती और पछेती बुआई का असर
गेहूं की बुआई में अगेती (25 अक्टूबर से 5 नवंबर) और पछेती (20 नवंबर के बाद) समय का असर फसल की गुणवत्ता पर पड़ता है. अगेती बुआई से फसल को पर्याप्त ठंड और नमी मिलती है, जिससे विकास बेहतर होता है. दूसरी ओर, पछेती बुआई से फसल में ठंड और पानी की कमी का असर पड़ सकता है, जिससे उपज में कमी हो सकती है.
किसानों के लिए जरुरी सलाह
मौसम विशेषज्ञों की सलाह है कि किसान अपने खेतों की मिट्टी की नमी बनाए रखें. इसके लिए समय-समय पर सिंचाई का ध्यान रखें. बदलते मौसम और तापमान के कारण मिट्टी में नमी तेजी से कम हो सकती है, जिससे फसल की पैदावार प्रभावित हो सकती है.
फसल सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम
मौसम में हो रहे इन बदलावों के चलते किसानों को अपनी फसल की सुरक्षा के लिए कई कदम उठाने की जरूरत है. गेहूं की बुआई के समय खेतों में जल का उचित प्रबंधन, फसल को कीटों से बचाने के लिए कीटनाशकों का सही इस्तेमाल और मिट्टी में पोषक तत्वों की पूर्ति पर ध्यान देना जरूरी है. इससे फसल को बदलते मौसम का प्रतिकूल असर झेलने में सहायता मिलती है.
सर्दियों में बढ़ेगी ठंड
नवंबर के दूसरे सप्ताह से ठंड के स्तर में बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही है. पश्चिमी विक्षोभ के कारण उत्तरी भारत में सर्दी का असर धीरे-धीरे बढ़ सकता है. खासकर हरियाणा में दिन और रात के तापमान में गिरावट की संभावना है, जिससे रबी फसलों के लिए अनुकूल मौसम बन सकता है. किसानों को सलाह दी जाती है कि ठंड के इस मौसम का लाभ उठाकर अपनी फसल की योजना बनाएं.
गेहूं के साथ अन्य फसलों की बुआई का समय
हरियाणा के किसान इस समय केवल गेहूं ही नहीं बल्कि सरसों, जौ और चना जैसी फसलों की बुआई भी कर सकते हैं. इन फसलों के लिए भी ठंडा और नमी युक्त मौसम लाभदायक होता है. किसानों को इस मौसम में विविधता लाते हुए कई तरह की फसलों की बुआई पर ध्यान देना चाहिए, जिससे उनकी आय में बढ़ोतरी हो सके और जोखिम भी कम हो.