Haryana News: हरियाणा के झज्जर जिले में स्थित बोड़िया गांव की स्थापना करीब 300 साल पहले हुई थी. यह गांव अपने पौराणिक ऐतिहासिक तालाब और कुएं के लिए प्रसिद्ध है, जो आज भी गांव में मौजूद हैं. इन्हें देखकर न केवल गांव की पुरानी सभ्यता का पता चलता है. बल्कि ये गांव के इतिहास को भी दर्शाते हैं.
गांव की स्थापना और बसने की कहानी
गांव बोड़िया की स्थापना दो व्यक्तियों, भोदू बालियान और खत्री द्वारा की गई थी जो मूल रूप से सुहरा गांव से आए थे. इन्होंने गांव में मौजूद पनघट कुएं को देखकर यहां बसने का निर्णय लिया. आज गांव में खत्री और बालियान दो प्रमुख गोत्रों के लोग रहते हैं जिनकी आबादी लगभग एक हजार है.
गांव की सामाजिक संरचना और आबादी
बोड़िया गांव (Bodia village demographics) की कुल आबादी लगभग एक हजार है जिसमें 650 मतदाता हैं. गांव में आपसी भाईचारा और सामुदायिक सद्भाव की भावना कायम है. ग्रामीणों ने अपने सहयोग से गांव में कई सामुदायिक संरचनाएं जैसे कि स्कूल, चौपड़ और मंदिर का निर्माण कराया है. गांव में ऐतिहासिक जोहड़ भी हैं. जिनका उपयोग पानी के स्रोत के रूप में होता है.
गांव के तीन ऐतिहासिक कुएँ
गांव में दो प्रमुख कुएँ हैं पनघटवाला और गोरेवाला. पनघट कुएं का उपयोग मुख्य रूप से इंसानों द्वारा किया जाता है. जबकि गोर कुएं के पानी का उपयोग पशुओं के लिए किया जाता है. इन कुओं की ऐतिहासिकता और उपयोगिता गांव के पारंपरिक लाइफस्टाइल को दर्शाती है.
गांव के मंदिर और धार्मिक आयोजन
गांव में बाबा रामदास का मंदिर और एक शिव मंदिर है, जो ग्रामीणों की आस्था का केंद्र हैं. ग्रामीण अलग-अलग धार्मिक आयोजनों में इन मंदिरों में पूजा-अर्चना करते हैं. ये मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखते हैं. बल्कि गांव की सामाजिक एकता में भी योगदान देते हैं.