Ram Rahim Pairol: हरियाणा में आगामी 5 अक्तूबर को विधानसभा चुनाव निर्धारित हैं. इस बीच विवादों में घिरे डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह ने 20 दिन की पैरोल (Parole Demand) की मांग की है. वह फिलहाल रोहतक की सुनारिया जेल में अपनी सजा काट रहे हैं. यह पैरोल उन्होंने विशेष रूप से चुनावी समय में मांगी है जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि चुनावों में उनकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही है.
बार-बार पैरोल पर सवाल
गुरमीत राम रहीम सिंह को 2017 में दोषी सिद्ध होने के बाद से ही कई बार पैरोल (Parole Frequency) पर रिहा किया जा चुका है. वह अब तक कुल 255 दिन यानी लगभग आठ महीने जेल के बाहर बिता चुके हैं. इन पैरोलों की टाइमिंग हमेशा किसी न किसी चुनावी घटनाक्रम के साथ मेल खाती रही है जिससे उनकी चुनावी प्रभावितता (Electoral Influence) के प्रमाण मिलते हैं.
चुनाव आयोग की भूमिका
इस बार राम रहीम की पैरोल की अर्जी चुनाव आयोग (Election Commission Guidelines) को भेजी गई है जो कि अप्रैल 2019 के नियमों के अनुसार ऐसे मामलों में पैरोल को सीमित करती है. इन नियमों का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि दोषी व्यक्ति चुनावी प्रक्रिया में किसी भी तरह से शामिल न हो सकें.
सियासी प्रभाव और डेरा प्रमुख
पंजाब विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञानी प्रोफेसर आशुतोष कुमार का मानना है कि डेरा प्रमुख के आदेशों का पालन करने वाले अनुयायियों की बड़ी संख्या के कारण उनका चुनावों में प्रभाव (Election Influence) अभी भी बना हुआ है. विभिन्न राजनीतिक दल उनके समर्थन को प्राप्त करने के लिए प्रयासरत रहते हैं.
पैरोल का कानूनी आधार
डेरा प्रवक्ता के अनुसार राम रहीम को वर्ष भर में 91 दिनों की अस्थायी रिहाई का अधिकार है और इस वर्ष उन्होंने अब तक 71 दिन का ही लाभ उठाया है. इसलिए उनका 20 दिन की पैरोल की मांग (Parole Rights) पूरी तरह कानूनी है. यह पैरोल वर्ष के अंत से पहले उन्हें मिलनी चाहिए अन्यथा यह अवधि समाप्त हो जाएगी.