ग्रामीण भारत में रोजगार और किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए पशुपालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी क्रम में बूँदी ज़िले के कृषि विज्ञान केंद्र पर 28 से 31 मई तक चार दिवसीय बकरी पालन प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस प्रशिक्षण में बूँदी, कोटा, बारां और टोंक जिले के 37 प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया।
पशुपालन के फायदे और व्यवसायिक संभावनाएं
प्रशिक्षण प्रभारी डॉ. घनश्याम मीना ने किसानों को बताया कि बकरी पालन एक लाभकारी व्यवसाय बन सकता है। बकरी पालन से न केवल दूध और मांस मिलता है बल्कि खाद के रूप में भी उत्पाद प्राप्त होते हैं जिसे विपणन कर अच्छी आय अर्जित की जा सकती है। इसलिए बकरी पालन को व्यवसाय के रूप में अपनाकर युवा रोजगार का साधन बना सकते हैं।
प्रशिक्षण के महत्वपूर्ण पहलू
प्रशिक्षण के दौरान डॉ. मीना ने बकरी में होने वाले रोगों की रोकथाम, बकरी की उत्तम नस्लों की जानकारी, गर्भावस्था के दौरान देखभाल, बकरी के आवास, आहार और चारा प्रबंधन के बारे में पूरी जानकारी दी। इसके अलावा, टीकाकरण, चारे के लिए वृक्षारोपण, वर्ष-भर चारा उत्पादन और पशु आहार बनाने की विधियों के बारे में बताया गया।
प्रायोगिक ज्ञान और प्रशिक्षण का लाभ
प्रशिक्षणार्थियों को प्रायोगिक जानकारी भी दी गई जैसे कि बकरी का वजन तौलना, डीवार्मिंग, टीकाकरण की विधि, और बकरी के दूध से विभिन्न उत्पाद बनाना। इस प्रशिक्षण से उन्हें बकरी पालन के व्यवसायिक पहलुओं को समझने में मदद मिली और साथ ही साथ आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक कदम बढ़ाने का अवसर मिला।