Bijli Rate Hike: हिमाचल प्रदेश में 28 लाख बिजली उपभोक्ताओं पर एक नया वित्तीय बोझ पड़ने जा रहा है. सरकार ने बिजली उपभोक्ताओं को अब प्रति यूनिट दूध और पर्यावरण उपकर भी चुकाने का प्रस्ताव रखा है. इस कदम का उद्देश्य प्रदेश में दूध उत्पादन बढ़ाने, किसानों को सशक्त बनाने और पर्यावरण की सुरक्षा करना है.
विद्युत शुल्क संशोधन विधेयक
हिमाचल सरकार ने सोमवार को सदन में विद्युत शुल्क संशोधन विधेयक (Electricity Tariff Amendment Bill) प्रस्तुत किया. जिसके पारित होने के बाद घरेलू उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 10 पैसे का दूध उपकर देना होगा. इस उपकर का उद्देश्य दूध उत्पादन में वृद्धि और किसानों की आय में सुधार करना है. वाणिज्यिक और उद्योग संबंधी श्रेणियों पर इस उपकर के साथ पर्यावरण उपकर भी लागू किया जाएगा.
उपकर का प्रभाव: उपभोक्ताओं पर असर
इस नए उपकर से हिमाचल के बिजली उपभोक्ताओं पर महत्वपूर्ण आर्थिक प्रभाव पड़ेगा. दूध उपकर के अलावा पर्यावरण उपकर का शुल्क भी 2 पैसे से लेकर 6 रुपये प्रति यूनिट के बीच होगा, जो विशेष रूप से उद्योगों और वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को प्रभावित करेगा. यह नई तकनीक हिमाचल को एक ग्रीन स्टेट (Green State) के रूप में विकसित करने में सहायक होगा.
सरकार के आर्थिक लक्ष्य: राजस्व और विकास
सरकार इस उपकर के माध्यम से प्राप्त धनराशि को प्रदेश की बहुउद्देशीय परियोजनाओं (Multi-purpose Projects) और ऊर्जा विभाग के विकास में उपयोग करेगी. यह नीति प्रदेश के पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा देने और स्वच्छ पर्यावरण की सुनिश्चितता को प्रोत्साहित करेगी. जिससे प्रदेश के विकास में योगदान होगा.
उपभोक्ताओं की प्रतिक्रिया और भविष्य की चुनौतियां
इस विधेयक के प्रस्तावित प्रभावों को लेकर उपभोक्ताओं की प्रतिक्रियाएं मिश्रित हैं. कुछ उपभोक्ता सरकार के इस कदम को किसानों और पर्यावरण के हित में देख रहे हैं. जबकि अन्य इसे आर्थिक बोझ के रूप में देख रहे हैं. आगे चलकर सरकार को इस उपकर के प्रभावी क्रियान्वयन और जनता के हितों के संतुलन की चुनौती का सामना करना पड़ेगा.