आचार्य चाणक्य जिन्हें कौटिल्य के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय इतिहास के महानतम सलाहकारों में से एक माने जाते हैं। उनका वास्तविक नाम विष्णुगुप्त था और उनकी विद्वता तथा कूटनीति के चलते उन्होंने नंद वंश का अंत कर मौर्य साम्राज्य की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। चाणक्य ने ‘चाणक्य नीति’ नामक ग्रंथ की रचना की जिसमें जीवन के विभिन्न पहलुओं पर महत्वपूर्ण उपदेश दिए गए हैं।
जीवन में मित्रता का महत्व
चाणक्य नीति में मित्रता को जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया है। एक सच्चा मित्र जीवन के हर कठिन दौर में साथ खड़ा रहता है और समस्याओं का समाधान खोजने में मदद करता है। लेकिन चाणक्य ने यह भी कहा है कि हर किसी से मित्रता नहीं करनी चाहिए। कुछ लोग ऐसे होते हैं जो आपके जीवन में मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। इसलिए सही मित्र चुनना आवश्यक है।
दुर्जन व्यक्ति से बचें
चाणक्य के अनुसार दुर्जन व्यक्ति से मित्रता करना हमेशा हानिकारक होता है। उनके एक श्लोक में कहा गया है-
“दुर्जनस्य च सर्पस्य वरं सर्पो न दुर्जनः।
सर्पो दंशति काले तु दुर्जनस्तु पदे पदे।।”
अर्थात:- एक दुर्जन व्यक्ति सांप से भी अधिक खतरनाक होता है। क्योंकि सांप केवल एक बार काटता है। लेकिन दुर्जन व्यक्ति बार-बार हानि पहुंचाता है। इसलिए ऐसे लोगों से हमेशा दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
लालची लोगों से दूर रहें
चाणक्य ने लालची लोगों से भी मित्रता न रखने की सलाह दी है। लालच के कारण ऐसे लोग किसी भी हद तक जा सकते हैं और आपके विश्वास का गलत उपयोग कर सकते हैं। इसलिए जीवन में ऐसे लोगों से सावधान रहना जरूरी है जो केवल अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए आपके साथ होते हैं।
गलत संगत से बचाव
गलत संगत में पड़ना किसी भी व्यक्ति के लिए विनाशकारी हो सकता है। चाणक्य के अनुसार, गलत संगत व्यक्ति को मुसीबत में डाल सकती है और उसकी प्रगति में बाधा उत्पन्न कर सकती है। इसलिए, हमेशा ऐसे लोगों से दूर रहें जो आपको गलत रास्ते पर ले जा सकते हैं।
सज्जन व्यक्ति का महत्व
चाणक्य के अनुसार सज्जन व्यक्ति हमेशा धैर्यवान और मर्यादित होते हैं। वे कठिनाइयों के समय में भी अपनी सीमाओं का उल्लंघन नहीं करते। उनके एक श्लोक में कहा गया है-
“प्रलये भिन्नमार्यादा भविंत किल सागर:।
सागरा भेदमिच्छन्ति प्रलेयशपि न साधव:।।”
अर्थात:- प्रलय के समय भी समुद्र अपनी मर्यादाओं को तोड़ देता है। लेकिन सज्जन व्यक्ति कभी अपनी सीमाएं नहीं लांघता।
सच्चे मित्र की पहचान
चाणक्य ने सच्चे मित्र की पहचान के बारे में भी बताया है। सच्चा मित्र वही होता है जो न केवल सुख के समय में बल्कि दुख के समय में भी आपके साथ खड़ा रहता है। ऐसे मित्र आपकी कठिनाइयों को समझते हैं और समाधान खोजने में मदद करते हैं। इसलिए जीवन में सच्चे मित्र की पहचान करना और उनसे मित्रता बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।
मित्रता में संतुलन बनाए रखें
चाणक्य ने मित्रता में संतुलन बनाए रखने की भी सलाह दी है। उन्होंने कहा है कि मित्रता में विश्वास और सम्मान का होना आवश्यक है। बिना विश्वास और सम्मान के कोई भी मित्रता लंबे समय तक नहीं टिक सकती। इसलिए मित्रता में संतुलन बनाए रखना और एक-दूसरे के प्रति सच्चे रहना महत्वपूर्ण है।
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं इंटरनेट से ली गई हैं। Dharataltv.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)