हरियाणा सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए विद्यार्थी निशुल्क परिवहन सुरक्षा योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत गुरुग्राम के सोहना खंड में 16 सरकारी स्कूलों को स्कूली वाहन योजना में शामिल किया गया है। इनमें से आठ स्कूलों के 1187 छात्र-छात्राओं को योजना के तहत बसों की सुविधा मिली है। यह योजना न केवल छात्रों के लिए लाभकारी है। बल्कि उनके अभिभावकों के लिए भी एक बड़ी राहत साबित हो रही है।
योजना की शुरुआत और उद्देश्य
प्रदेश सरकार के आदेशनुसार शिक्षा विभाग द्वारा विद्यार्थी निशुल्क परिवहन सुरक्षा योजना शुरू की गई है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले छात्र-छात्राओं को सुरक्षित और सुविधाजनक परिवहन सुविधा प्रदान करना है।
योजना के तहत एक किलोमीटर या उससे ज्यादा दूरी वाले पहली से 12वीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्रों को शामिल किया गया है। शिक्षा विभाग ने हरियाणा के सभी 22 जिलों के एक-एक खंड में सरकारी स्कूलों को पायलट प्रोजेक्ट में शामिल किया था।
पायलट प्रोजेक्ट के तहत शामिल स्कूल
सोहना खंड की खंड शिक्षा अधिकारी संगीता रांगी ने बताया कि राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल दोहला, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल हाजीपुर, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल दरबारीपुर, राजकीय प्राथमिक स्कूल गैरतपुर बास, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल गैरतपुर बास, राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल सोहना, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल खेडली लाला और राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल कादरपुर के 1187 छात्र-छात्राओं को इस योजना के तहत बसों की सुविधा मिली है। इन स्कूलों में आने वाले बच्चों का रूट बनाकर बसों का संचालन किया जा रहा है।
अन्य स्कूलों में भी लागू होगी योजना
मुनिराम जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी गुरुग्राम ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत सोहना खंड के आठ स्कूलों में स्कूली बसों की व्यवस्था की गई है। रूट मैप तैयार करके बच्चों को स्कूलों में पहुंचाया जा रहा है। अन्य आठ स्कूलों के लिए भी स्कूली वाहनों की व्यवस्था के लिए प्रक्रिया चल रही है। जल्दी ही इन स्कूलों में भी यह योजना लागू कर दी जाएगी।
योजना का महत्व और लाभ
विद्यार्थी निशुल्क परिवहन सुरक्षा योजना का महत्व बहुत बड़ा है। इस योजना से दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों को शिक्षा के लिए सुरक्षित और सुविधाजनक परिवहन सुविधा मिल रही है। इससे न केवल उनकी शिक्षा में सुधार होगा। बल्कि उनकी सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी। इसके अलावा अभिभावकों को भी राहत मिलेगी क्योंकि उन्हें अपने बच्चों को स्कूल पहुंचाने की चिंता नहीं करनी पड़ेगी।