Delhi-Dehradun Expressway: भारत में सड़कों और हाईवे का निर्माण तेजी से हो रहा है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की अगुवाई में कई बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है। इसी कड़ी में दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे पर एक ऐसा वाइल्डलाइफ कॉरिडोर बनाया गया है, जो एशिया में अपनी तरह का पहला और सबसे बड़ा है। यह 12 किलोमीटर लंबा कॉरिडोर राजाजी नेशनल पार्क और शिवालिक रिजर्व फॉरेस्ट एरिया के बीच बनाया गया है। इसे पर्यावरण और जानवरों की सुरक्षा के लिए एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।
इंसानों और जानवरों के बीच संघर्ष खत्म करने की कोशिश
यह कॉरिडोर विशेष रूप से इंसानों और जानवरों के बीच संघर्ष को कम करने के लिए तैयार किया गया है। दिन में जानवरों की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए इसमें 8 अंडरपास बनाए गए हैं। खासतौर से हाथियों के लिए 200 मीटर लंबे 2 अलग कॉरिडोर बनाए गए हैं। ये आशरोड़ी से दात काली मंदिर तक फैले हुए हैं।
देहरादून के पास 340 मीटर लंबी सुरंग
इस परियोजना के तहत गणेशपुर से देहरादून तक वाइल्डलाइफ रूट बनाया गया है। दात काली मंदिर के पास एक 340 मीटर लंबी सुरंग भी बनाई गई है। यह सुरंग वाहनों की आवाजाही को बिना बाधा के सुनिश्चित करती है। साथ ही, इससे जानवरों के प्राकृतिक आवास में दखल नहीं होगा।
जानवरों तक नहीं पहुंचेगी गाड़ियों की आवाज
इस एक्सप्रेसवे की सबसे अनोखी बात यह है कि यहां वाहनों की आवाज जानवरों तक नहीं पहुंचेगी। इसके लिए 4 मीटर ऊंचे नॉयस बैरियर लगाए गए हैं। पॉलीकॉर्बोनेट से बने ये बैरियर ट्रैफिक के शोर को काफी हद तक सोख लेते हैं। इससे जंगल के जीव-जंतुओं को शांति मिलती है।
दिल्ली से देहरादून केवल 2.5 घंटे में
दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे के बनने से यात्रा का समय भी काफी कम हो जाएगा। पहले दिल्ली से देहरादून की यात्रा में लगभग 5 घंटे लगते थे। लेकिन अब यह सफर महज 2.5 घंटे में पूरा किया जा सकेगा।
राजाजी नेशनल पार्क की सुरक्षा पर खास ध्यान
यह कॉरिडोर राजाजी नेशनल पार्क और शिवालिक रिजर्व फॉरेस्ट के बीच बनाया गया है। राजाजी नेशनल पार्क हाथियों के लिए प्रसिद्ध है। यहां एलिवेटेड रोड और अंडरपास के जरिए हाथियों और अन्य जानवरों की आवाजाही को पूरी तरह सुरक्षित बनाया गया है।
क्यों है यह एशिया का सबसे खास कॉरिडोर?
- एशिया में सबसे बड़ा एलिवेटेड वाइल्डलाइफ कॉरिडोर: इसकी लंबाई और संरचना इसे अद्वितीय बनाती है।
- इंसानों और जानवरों के संघर्ष को कम करने की तकनीक: अंडरपास और नॉयस बैरियर जैसी सुविधाएं इसे विशेष बनाती हैं।
- पर्यावरण-अनुकूल डिजाइन: जानवरों के प्राकृतिक आवास में न्यूनतम दखल।
भारत में वाइल्डलाइफ संरक्षण की बड़ी उपलब्धि
यह प्रोजेक्ट केवल भारत में नहीं, बल्कि एशिया में वाइल्डलाइफ संरक्षण के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हो सकता है। सड़क के निर्माण के दौरान पर्यावरण और जानवरों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है।