Avishaan breed sheep: भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुपालन एक मुख्य स्तम्भ (pillar of rural economy) है. खेती के अलावा यह कृषि प्रधान देश में आजीविका का एक प्रमुख साधन है. पशुपालन से न केवल दूध, मांस, ऊन और अन्य उत्पाद प्राप्त होते हैं. बल्कि यह खाद्य सुरक्षा (food security) को भी मजबूत करता है.
पशुपालन के फायदे (benefits of livestock farming)
पशुपालन ग्रामीण इलाकों में किसानों के लिए निरंतर आमदनी का स्रोत (source of regular income) बन सकता है. गाय, भैंस, भेड़ और बकरी जैसे पशुओं का पालन न केवल पारंपरिक है बल्कि आर्थिक रूप से भी लाभकारी है. विशेष रूप से भेड़ पालन (sheep farming) कम लागत में अधिक लाभ देने वाला साबित हो सकता है.
अविशान भेड़ लाभकारी नस्ल (profitable breed Avishan Sheep)
‘अविशान’ भेड़ की नस्ल जो 16 वर्षों की शोध के बाद विकसित की गई है. ज्यादा प्रजनन क्षमता (high reproductive capacity) के साथ-साथ बड़ी संख्या में बच्चे देने की क्षमता के लिए जानी जाती है. इस नस्ल की भेड़ विशेष रूप से ऊन और मांस उत्पादन के लिए जानी जाती हैं.
प्रजनन क्षमता (reproduction rate of sheep)
‘अविशान’ नस्ल की भेड़ वर्ष में दो बार प्रजनन (twice a year breeding) करती है. , प्रत्येक बार 2 से 4 बच्चे देने की संभावना के साथ. यह ज्यादा प्रजनन दर किसानों को कम समय में अधिक संख्या में भेड़ पालने की सुविधा देती है.
ऊन और दूध का उत्पादन (wool and milk production)
अविशान नस्ल से न केवल 40% अधिक ऊन मिलता है. बल्कि यह अन्य भेड़ों की तुलना में अधिक दूध (more milk production) भी देती है. इस बढ़ी हुई उत्पादन क्षमता से पशुपालकों की आय में स्थिरता आती है और उन्हें बाजार में बेहतर मूल्य मिलता है.














