FASTag update: सरकार ने एक नई ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम आधारित टोल संग्रहण प्रणाली को मंजूरी दे दी है. जिसके अंतर्गत यात्रा को और भी तेज और सुविधाजनक बनाया जा सकेगा. इस प्रणाली का मुख्य उद्देश्य टोल टैक्स संग्रहण में दक्षता लाना और यातायात में कमी लाना है.
फास्टैग का भविष्य
जनता के मन में यह प्रश्न उठ रहा है कि क्या फास्टैग (Fastag) को बंद कर दिया जाएगा? क्रिसिल के अनुसार फास्टैग को पूरी तरह से रिप्लेस करने की योजना नहीं है. बल्कि यह नए सिस्टम के साथ समानांतर चलेगा. जिससे उपभोक्ताओं को अधिक विकल्प और सुविधाएँ प्राप्त होंगी.
नए सिस्टम का क्रियान्वयन क्षेत्र
इस नवीन GNSS आधारित टोल संग्रहण प्रणाली को पूरे देश में क्रमबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा. शुरुआत में इसे कमर्शियल वाहनों पर लागू करने की योजना है और धीरे-धीरे इसे व्यापक रूप से अमल में लाया जाएगा. NHAI अधिकारियों के अनुसार यह नया सिस्टम वाहन चालकों को बिना रुकावट यात्रा करने की सुविधा प्रदान करेगा.
टोल टैक्स में छूट की स्थिति
इस नए सिस्टम के तहत यदि किसी वाहन चालक ने दैनिक आधार पर 20 किलोमीटर तक की यात्रा की है तो उसे कोई टोल टैक्स (Toll Tax) नहीं देना पड़ेगा. हालांकि 21 किलोमीटर या उससे अधिक की यात्रा करने पर पहले किलोमीटर से ही टोल टैक्स लगेगा.
पायलट प्रोजेक्ट और प्रायोगिक परीक्षण
सरकार ने इस सिस्टम का परीक्षण कर्नाटक के NH-275 और हरियाणा के NH-709 पर किया है. जहां इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया गया था. ये प्रायोगिक परीक्षण सफल रहे. जिससे सिस्टम की व्यवहार्यता और प्रभावकारिता को मान्यता मिली.
नई प्रणाली का कार्यान्वयन मैकेनिज्म
नई GNSS आधारित टोल प्रणाली में सैटेलाइट और वाहन में लगे ऑन-बोर्ड यूनिट का उपयोग किया जाएगा. यह सिस्टम वाहनों की सटीक स्थिति को ट्रैक करेगा और यात्रा की दूरी के आधार पर टोल की गणना करेगा. इस प्रकार की तकनीकी प्रगति से न केवल यातायात में सुधार होगा. बल्कि वाहन चालकों को अधिक सुगम और कुशल यात्रा का अनुभव प्रदान होगा.














