डेयरी बिजनेस के लिए इस नस्ल की भैंस नही है वरदान से कम

By Uggersain Sharma

Published on:

This breed of buffalo is no less than a boon for dairy business.

Murrah Buffalo: भारत एक कृषि-प्रधान देश है लेकिन पशुपालन में भी उसकी महत्वपूर्ण भूमिका है. छोटे और बड़े किसान अक्सर पशुपालन को आजीविका का मुख्य स्रोत मानते हैं. इस क्षेत्र में तेजी से वृद्धि हो रही है, जो न सिर्फ लाभ (Profit) देती है बल्कि अन्य लोगों के लिए भी रोजगार के अवसर (Employment Opportunities) प्रदान करती है.

पशुपालन की महत्वपूर्ण भूमिका

भारतीय जीडीपी (GDP) में पशुपालन का लगभग 4% और कृषि जीडीपी में 26% का योगदान है. इससे यह स्पष्ट होता है कि पशुपालन आर्थिक विकास में किस प्रकार महत्वपूर्ण स्थान रखता है. दो करोड़ लोग इस पर निर्भर हैं जो इसे आजीविका का मजबूत साधन बनाते हैं.

भैंस पालन का वर्चस्व

ग्रामीण क्षेत्रों में भैंस पालन विशेष रूप से प्रचलित है. भैंसें अपेक्षाकृत कम देखभाल में अधिक दूध उत्पन्न करती हैं. जिससे वे व्यवसायिक दृष्टिकोण से लाभकारी सिद्ध होती हैं. विशेषकर मुर्रा नस्ल की भैंस (Murrah Buffalo) बहुत लोकप्रिय है और यह उच्च दूध उत्पादन क्षमता के लिए जानी जाती है.

मुर्रा दुधारू भैंस की रानी

मुर्रा नस्ल की भैंस को दुनिया की सबसे दुधारू नस्लों में गिना जाता है. यह एक वर्ष में 2000 से 3000 लीटर तक दूध दे सकती है. इसकी विशेषताएँ जैसे अंगूठी के आकार के सींग, सुनहरे बाल और घुमावदार नाक इसे अन्य नस्लों से भिन्न बनाती हैं.

हरियाणा मुर्रा भैंस का गढ़

मुर्रा भैंस का मूलस्थान हरियाणा राज्य के हिसार, रोहतक और जींद जिले हैं. यह नस्ल अब हरियाणा के साथ-साथ पंजाब के कुछ हिस्सों में भी पाई जाती है. इसकी लोकप्रियता और मांग के कारण मुर्रा नस्ल की भैंस को डेयरी उद्यमियों द्वारा विशेष रूप से प्राथमिकता दी जाती है.

Uggersain Sharma

Uggersain Sharma is a Hindi content writer from Sirsa (Haryana) with three years of experience. He specializes in local news, sports, and entertainment, adept at writing across a variety of topics, making his work versatile and engaging.