Ganga Expressway: उत्तर प्रदेश सरकार का एक प्रमुख ड्रीम प्रोजेक्ट गंगा एक्सप्रेस-वे जो कि मेरठ से प्रयागराज तक विस्तारित हो रहा है. अब तीन और शहरों—वाराणसी, गाजीपुर और बलिया तक अपने दूसरे चरण में विस्तार की ओर अग्रसर है. इस 350 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेसवे के निर्माण कार्य में तेजी लाई गई है. जिससे राज्य के विकास में एक नई गति मिलेगी.
गंगा एक्सप्रेस-वे की विशेषताएं और उसका महत्व
गंगा एक्सप्रेस-वे की कुल लंबाई 594 किलोमीटर है. जिसका निर्माण मेरठ से शुरू होकर प्रयागराज में समाप्त होगा. इस छह लेन वाले एक्सप्रेसवे का उद्देश्य इन दो महत्वपूर्ण शहरों के बीच यात्रा का समय कम करना है. जिससे व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. इस प्रोजेक्ट से न केवल स्थानीय लोगों को लाभ होगा. बल्कि यह क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में भी सुधार लाएगा.
दूसरे चरण की योजना और विस्तार
गंगा एक्सप्रेस-वे के दूसरे चरण में इसका विस्तार वाराणसी, गाजीपुर होकर बलिया तक किया जाएगा. उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) ने इस चरण के लिए आवश्यक सर्वेक्षण कार्य पूरा कर लिया है और निर्माण की योजना तेजी से आगे बढ़ रही है.
महत्वपूर्ण मील के पत्थर
गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण में महत्वपूर्ण मील का पत्थर इसकी पूर्णता है, जो 2025 में होने वाले कुंभ मेले से पहले निर्धारित की गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा इसके लोकार्पण की संभावना इस प्रोजेक्ट के महत्व को और भी बढ़ाती है.
गंगा एक्सप्रेस-वे का भौगोलिक महत्व
गंगा एक्सप्रेस-वे 12 जिलों से होकर गुजरेगा जिसमें मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और प्रयागराज शामिल हैं. इस एक्सप्रेसवे के माध्यम से इन जिलों के बीच संपर्क सुगम होगा. जिससे क्षेत्रीय विकास में तेजी आएगी.
लखनऊ एक्सप्रेस वे से संबंध
गंगा एक्सप्रेस-वे को लखनऊ एक्सप्रेसवे से भी जोड़ा जाएगा. जिससे मेरठ से प्रयागराज ही नहीं बल्कि लखनऊ और पूर्वांचल के और जिलों के लोग भी कम समय में सफर कर सकेंगे. इससे न केवल यात्रा का समय कम होगा बल्कि यातायात की सुगमता भी बढ़ेगी, जो व्यापार और पर्यटन के लिए लाभदायक सिद्ध होगी.