कोविड-19 महामारी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था की विभिन्न गति से पुनरुद्धार देखने को मिला है जिसका साफ प्रभाव मुद्रास्फीति की स्थिति पर भी पड़ा है। विदेशी ब्रोकरेज कंपनी एचएसबीसी की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण उपभोक्ता शहरी उपभोक्ताओं की तुलना में मुद्रास्फीति की मार से अधिक प्रभावित हो रहे हैं।
‘के-आकार’ की पुनरुद्धार और मुद्रास्फीति
अर्थव्यवस्था में ‘के-आकार’ के पुनरुद्धार का अर्थ है कि कुछ क्षेत्र जहाँ तेजी है वहीं कुछ में नरमी भी देखी जा रही है। इसी तरह मुद्रास्फीति के मामले में भी यह विषमता सामने आई है। एचएसबीसी के मुख्य अर्थशास्त्री प्रांजल भंडारी का कहना है कि इस साल गर्मी के कारण खाद्य वस्तुओं और पशुधन पर नुकसान के चलते मुख्य मुद्रास्फीति में नरमी है जबकि खाद्य वस्तुओं में महंगाई अधिक है।
सरकार के प्रयास और ग्रामीण प्रभाव
खाद्य मुद्रास्फीति खासकर ग्रामीण इलाकों में ज्यादा है क्योंकि वहां ईंधन और अन्य उपभोक्ता सामग्री की उपलब्धता और खपत शहरी इलाकों की तुलना में कम होती है। इसके बावजूद सरकार ने ईंधन की कीमतों में कटौती की है परंतु इसका असर शहरी उपभोक्ताओं पर ज्यादा दिखाई देता है।
किसानों पर मुद्रास्फीति का प्रभाव
ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों की आय पर मुद्रास्फीति का असर विशेष रूप से गहरा है। खाद्यान्न के हाई रेट्स के बावजूद उत्पादन लागत में बढ़ोतरी और उत्पादन में कमी के कारण उनकी आमदनी में कमी आई है। इसके अतिरिक्त शहरी क्षेत्रों में खाने की मेज तक सामान पहुंचाने की लागत में भी कमी आई है, जिससे ग्रामीण उत्पादकों को और चुनौती का सामना करना पड़ता है।