पत्नी के नाम ख़रीदी गई प्रॉपर्टी में पति को कितना मिलता है हक़, जाने पति के अलावा किसका हो सकता है हक़
हाईकोर्ट ने बेनामी संपत्ति के एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि जिसकी आय से संपत्ति खरीदी जाती है, वही मालिक होगा, चाहे किसी और के नाम से संपत्ति खरीदी गई हो।

हाईकोर्ट ने बेनामी संपत्ति के एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि जिसकी आय से संपत्ति खरीदी जाती है, वही मालिक होगा, चाहे किसी और के नाम से संपत्ति खरीदी गई हो।
एक व्यक्ति को कानूनन अधिकार है कि वह अपनी पत्नी के नाम पर अचल संपत्ति खरीद सके, जो वह अपनी आय के ज्ञात स्रोतों से प्राप्त करता है। इस तरह खरीदी गई संपत्ति बेनामी नहीं हो सकती।
जस्टिस वाल्मीकि जे मेहता की बेंच ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया जो याचिकाकर्ता से उन दो संपत्तियों पर हक जताने का अधिकार छीन लिया था।
जो वह अपनी पत्नी के नाम पर खरीद लिया था। व्यक्ति ने मांग की कि उसे इन दो संपत्तियों का मालिकाना हक दिया जाए, जो उसने अपनी आय के ज्ञात स्रोतों से खरीदी थीं।
याचिकाकर्ता के इस अधिकार को ट्रायल कोर्ट ने बेनामी ट्रांजैक्शन (प्रोहिबिशन) एक्ट 1988 के उस प्रावधान के आधार पर जब्त कर लिया, जो संपत्ति रिकवर करने के अधिकार पर प्रतिबंध लगाता है।
हाईकोर्ट ने क्या कहा-
- हाईकोर्ट ने कहा कि निचली अदालत ने पहले इस व्यक्ति की याचिका ठुकरा दी, जो गलत था। संबंधित कानून संशोधित किया गया है।
- संशोधित कानून में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि बेनामी लेनदेन हुए हैं या नहीं।
- इस कानून के तहत दिए गए अपवादों में से एक मौजूदा मामले में पत्नी के नाम पर संपत्ति होना है।
- कानूनन एक व्यक्ति को अपनी पत्नी के नाम पर अचल संपत्ति खरीदने की अनुमति देता है जब वह अपनी आय के ज्ञात स्रोतों से धन प्राप्त करता है।
हाईकोर्ट ने मामले को ट्रायल कोर्ट में दोबारा सुनवाई के लिए भेज दिया है।
क्या होती है बेनामी प्रॉपर्टी-
- जो सरकार से छिपाने के लिए नौकरों, ड्राइवरों या अन्य कर्मचारियों के नामों को खरीदा गया है लेकिन बेनिफिट अपने मालिक का पालन कर रहा है।
- ये संपत्ति जिस व्यक्ति के नाम पर खरीदी जाती है, उसे बेनामदार कहते हैं, और संपत्ति को बेनामी कहा जाता है। बेनामी संपत्ति फाइनेंशियल डॉक्युमेंट्स, चल या अचल हो सकती है।पत्नी-बच्चों का नाम बेनामी संपत्ति नहीं
पति-बच्चों के नाम पर खरीदी गई संपत्ति बेनामी नहीं है। बशर्ते इनकम टैक्स रिटर्न में इसका उल्लेख किया गया हो। इसके अलावा, आय में घोषित भाई, बहन या अन्य रिश्तेदारों के साथ साझेदारी वाली संपत्ति भी बेनामी नहीं होती।
अधिकतम हो सकती है 7 साल की सजा-
- इसी साल अगस्त में संसद ने बेनामी सौदा निषेध का कानून पारित किया। इसके प्रभाव में आने के बाद, बेनामी सौदे निषेध कानून, 1988 का नाम बदलकर बेनामी संपत्ति लेन-देन कानून, 1988 कर दिया गया।
- बेनामी संपत्ति रखने वाले को कम से कम एक वर्ष और अधिक से अधिक सात वर्ष की सजा हो सकती है। इसके साथ संपत्ति के बाजार मूल्य का 25 प्रतिशत तक जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
- यही नहीं अगर गलत जानकारी देने के दोषी को कम से कम छह महीने और अधिकतम पांच साल की सजा के साथ-साथ संपत्ति के मूल्य का दस प्रतिशत जुर्माना भी लगाया जा सकता है।