Dragon Fruit Farming: ड्रैगन फ्रूट जिसे पिटाया के नाम से भी जाना जाता है. एक तेजी से उभरती हुई खेती है जो न केवल पोषण की दृष्टि से लाभकारी है बल्कि इसमें आर्थिक लाभ (Economic benefits) भी अपार हैं. भारत में इसकी खेती अभी भी लैटस्ट स्टेप्स में है. लेकिन हरियाणा जैसे राज्यों में इसे बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार कई प्रकार की सब्सिडी (Subsidy schemes) प्रदान कर रही है.
राज्य सरकार की सब्सिडी योजना (State Government’s Subsidy Scheme)
हरियाणा राज्य सरकार ने ड्रैगन फ्रूट की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए किसानों को प्रति एकड़ 1,20,000 रुपये की सब्सिडी देने का निर्णय लिया है. यह सब्सिडी किसानों को नई खेती की तकनीकी और बुनियादी सुविधाओं की स्थापना में मदद करेगी.
खेती की विधि और बाजार की मांग (Farming Method and Market Demand)
ड्रैगन फ्रूट की खेती उन क्षेत्रों में भी की जा सकती है जहां मिट्टी की क्वालिटी उत्तम नहीं है और जलवायु सूखी है. इस फल की बाजार में हाई डिमांड (High market demand) के कारण किसान उचित निवेश और प्रबंधन के साथ मोटी कमाई कर सकते हैं.
सब्सिडी उपलब्धता के फायदे (Benefits of Subsidy Availability)
राज्य सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी के चलते किसानों को शुरुआती निवेश में बड़ी राहत मिलती है. इस सब्सिडी से किसानों को एडवांस्ड कृषि उपकरणों और हाई क्वालिटी के ड्रैगन फ्रूट पौधों की खरीद में मदद मिलेगी.
खेती की तकनीकी विशेषताएं (Technical Features of Farming)
ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए जरूरी ट्रेलिसिंग सिस्टम और उचित जल निकासी सुविधाओं की स्थापना किसानों को हाई उत्पादन दर सुनिश्चित करती है.
लंबी अवधि की खेती और आर्थिक लाभ (Long-term Farming and Financial Benefits)
ड्रैगन फ्रूट की खेती एक बार में 20 साल तक की जा सकती है. जिससे यह एक दीर्घकालिक और सतत आय का स्रोत बन सकता है. इस फल की खेती से जुड़े आर्थिक लाभ किसानों को उनके इकनॉमिक लेवल को बढ़ाने में मदद करते हैं.
पारंपरिक खेती से आधुनिक खेती की ओर (From Traditional to Modern Farming)
ड्रैगन फ्रूट की खेती परंपरागत खेती के तरीकों से आधुनिक खेती के नए युग में प्रवेश करने का एक माध्यम है. इस खेती को अपनाकर किसान नई कृषि तकनीकों और बाजारों का लाभ उठा सकते हैं.