AI Challan: भारत में तकनीक का बढ़ता इस्तेमाल हमारे जीवन को सरल बना रहा है। ट्रैफिक नियमों के पालन के मामले में भी एआई (Artificial Intelligence) आधारित कैमरों ने बड़ी भूमिका निभाई है। बेंगलुरु और मैसूर जैसे शहरों में ये कैमरे ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन को पहचानने और चालान जारी करने का काम कर रहे हैं। हालांकि तकनीक के साथ कुछ समस्याएं भी सामने आई हैं।
एआई कैमरों की प्रभावशीलता (Effectiveness of AI Cameras)
एआई कैमरे ने ट्रैफिक पुलिस का काम बेहद आसान कर दिया है। सही लेन में ड्राइविंग करना, हेलमेट पहनना, सीटबेल्ट लगाना जैसे नियमों का पालन कराने में इन कैमरों ने अहम भूमिका निभाई है। जैसे ही कोई वाहन चालक नियमों का उल्लंघन करता है। कैमरा उसकी तस्वीर खींच लेता है और तुरंत चालान जारी कर देता है। इससे लोग अधिक सतर्क हो गए हैं और नियमों का पालन बेहतर तरीके से कर रहे हैं।
चालान की गलतफहमी (Misunderstood Challan)
बेंगलुरु में एक आईटी प्रोफेशनल केशव किसलय को एआई कैमरे की वजह से एक दिन अचानक चालान मिल गया। उनका चालान सीटबेल्ट न पहनने के आरोप में काटा गया। जबकि केशव का दावा था कि उन्होंने सीटबेल्ट लगाई हुई थी। दरअसल केशव ने उस दिन काले रंग की टी-शर्ट पहनी थी। जिससे कैमरा सीटबेल्ट को पहचान नहीं पाया और गलत चालान जारी हो गया।
टेक्नोलॉजी की सीमा (Limitations of Technology)
इस घटना ने दिखाया कि कैसे एआई कैमरे के साथ कुछ सीमाएं भी हो सकती हैं। काले रंग की टी-शर्ट पहनने की वजह से कैमरा सीटबेल्ट को पहचान नहीं सका, जो कि तकनीक की एक खामी को उजागर करता है। इस मामले को केशव ने सोशल मीडिया पर उठाया और बेंगलुरु ट्रैफिक पुलिस ने उनकी शिकायत को संज्ञान में लिया और गलत चालान को निरस्त कर दिया।
कर्नाटक में अन्य मामलों की बाढ़ (Flood of Other Cases in Karnataka)
केशव का मामला अकेला नहीं था। कर्नाटक के बेंगलुरु और मैसूर जैसे शहरों में कई अन्य लोगों ने भी इसी तरह की समस्याओं का सामना किया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कई यूजर्स ने इस बारे में अपनी कहानियां साझा की हैं। जिनमें एक बात कॉमन थी—डार्क कलर की शर्ट या टी-शर्ट पहनने के बाद चालान कटना।
बेंगलुरु ट्रैफिक पुलिस की प्रतिक्रिया (Response of Bangalore Traffic Police)
बेंगलुरु के एडिशनल ट्रैफिक कमिश्नर एन अनुचेत ने इस समस्या को स्वीकार किया और बताया कि दिसंबर 2023 के बाद से उन्होंने इस समस्या को दूर करने के उपाय किए हैं। हालांकि केशव के मामले में यह गलती जून 2024 में हुई, जो दर्शाता है कि अभी भी कुछ सुधार की आवश्यकता है।