इस नस्ल की गाय नही है किसी वरदान से कम, साल में 275 देती है बंपर दूध

By Uggersain Sharma

Published on:

Cow of this breed is no less than a blessing.

Red Kandhari cow: भारत में कृषि गतिविधियों के साथ-साथ पशुपालन भी लोगों की आय का मुख्य स्रोत बनता जा रहा है। ग्रामीण इलाकों में तो यह प्रचलन में है ही। लेकिन अब शहरी युवा भी इस क्षेत्र में अपनी रुचि दिखा रहे हैं।

रेड कंधारी (Red Kandhari)

रेड कंधारी भारत की एक प्रमुख दुधारू नस्ल विशेष रूप से कर्नाटक और महाराष्ट्र में पाई जाती है। इस नस्ल की गायों को उनकी उच्च दुग्ध उत्पादन क्षमता के लिए जाना जाता है। ये गायें वर्ष में 275 दिन तक दूध दे सकती हैं, जो किसी भी किसान के लिए आर्थिक रूप से बहुत फायदेमंद हो सकता है।

गौपालन के फायदे और चुनौतियां (Benefits and Challenges of Cattle Farming)

गौपालन से जुड़ी चुनौतियाँ बहुत हैं, जैसे कि उचित नस्ल का चयन न कर पाना और आधुनिक तकनीकी ज्ञान की कमी। हालांकि उचित जानकारी और संसाधनों की उपलब्धता से यह कार्य सरल हो सकता है।

ज्ञान और तकनीकी सहायता का महत्व (The Importance of Knowledge and Technical Assistance)

राजकीय पशु चिकित्सालय शिवगढ़ के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. इंद्रजीत वर्मा का कहना है कि रेड कंधारी नस्ल की गायों का पालन करना किसानों के लिए लाभकारी हो सकता है। उन्होंने इस नस्ल की विशेषताओं और पालन-पोषण के तरीकों पर प्रकाश डाला। जिससे किसान अधिकतम लाभ उठा सकें।

रेड कंधारी नस्ल की पहचान और उसके लाभ (Identifying and Benefitting from Red Kandhari Breed)

रेड कंधारी गायों की खासियतों में उनका स्थायित्व और अच्छे दूध उत्पादन की क्षमता शामिल हैं। इनकी लंबाई और सींगों की विशेषताएं उन्हें अन्य नस्लों से अलग करती हैं।

Uggersain Sharma

Uggersain Sharma is a Hindi content writer from Sirsa (Haryana) with three years of experience. He specializes in local news, sports, and entertainment, adept at writing across a variety of topics, making his work versatile and engaging.