Cotton Prices: भारतीय किसानों का संघर्ष अक्सर मौसम की अनिश्चितताओं के साथ जुड़ा होता है और इस वर्ष कपास की फसल पर बारिश की अधिकता ने गहरा प्रभाव डाला है. विशेष रूप से गुजरात और महाराष्ट्र जैसे प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों में अत्यधिक वर्षा के कारण भारी नुकसान हुआ है.
भारी बारिश ने बढ़ाई किसानों की चिंता
इस वर्ष सितंबर महीने की भारी बरसात ने कपास की फसलों को काफी प्रभावित किया है. जिससे न केवल फसल की गुणवत्ता पर असर पड़ा है बल्कि फसल की मात्रा में भी कमी आई है. Cotton Association of India (CAI) के मुताबिक इस वर्ष कपास की पैदावार में स्पष्ट रूप से गिरावट आने की संभावना है.
कपास के भाव में उछाल
हाल के महीनों में कपास के दामों में लगभग 6% की बढ़ोतरी देखी गई है, जो कि आपूर्ति में कमी और बढ़ती मांग के कारण है. वर्तमान में कपास के दाम बाजार में 29,000 रुपए प्रति कैंडी के करीब पहुंच गए हैं, जो पिछले महीने 27,000 रुपए के आसपास थे.
कपास उत्पादन में गिरावट के आसार
कपास की खेती के लिए आवश्यक रकबा भी पिछले वर्ष की तुलना में कम हुआ है जो कि कपास के भाव में बढ़ोतरी का एक प्रमुख कारण हो सकता है. इस वर्ष कपास की बुवाई का क्षेत्रफल 110.49 लाख हेक्टर रहा है. जबकि पिछले वर्ष यह 121.24 लाख हेक्टर था.
बाजार की स्थिति पर एक नजर
कपास की बाजार कीमतें जैसे बढ़ रही हैं वह न केवल किसानों के लिए चिंता का विषय है बल्कि उद्योग जगत के लिए भी एक बड़ी चुनौती प्रस्तुत कर रही है. मौसमी परिवर्तनों के इस दौर में कपास की हाई कीमतें वस्त्र उद्योग पर भी प्रभाव डाल सकती हैं. जिससे उपभोक्ता कीमतों में भी वृद्धि हो सकती है.