HDFC BANK: भारत का सबसे बड़ा निजी क्षेत्र का बैंक एचडीएफसी बैंक ने हाल ही में अपनी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) में संशोधन किया है. 7 सितंबर, 2024 से लागू इस नई दर वृद्धि के अनुसार बैंक की MCLR दरें अब 9.10% से 9.45% के बीच होंगी. यह बदलाव खासतौर पर 3 महीने की MCLR अवधि (MCLR duration) में किया गया है. जबकि अन्य सभी अवधियों की दरें यथावत रखी गई हैं.
MCLR का मतलब और इसकी प्रक्रिया
MCLR का पूरा नाम मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट है, जो कि बैंकों द्वारा लोन देने की न्यूनतम दर होती है. इसे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2016 में पुराने बेस रेट सिस्टम की जगह लागू किया था. MCLR उधार देने की दरों को अधिक पारदर्शी और बाजार दरों के अनुरूप बनाने के लिए पेश किया गया था.
विभिन्न अवधियों की MCLR दरें
एचडीएफसी बैंक ने विशेष रूप से तीन महीने की MCLR दर को 5 आधार अंकों की वृद्धि के साथ 9.25% से 9.30% कर दिया है. अन्य अवधियों की दरें जैसे कि ओवरनाइट (Overnight MCLR) 9.10%, एक महीने की 9.15%, छह महीने की 9.40% और एक साल, दो साल और तीन साल की अवधि के लिए 9.45% पर स्थिर रहीं.
लोन ग्राहकों पर प्रभाव
जब MCLR दरें बढ़ती हैं, तो इसका सीधा असर उन उपभोक्ताओं पर पड़ता है. जिन्होंने वेरिएबल इंटरेस्ट रेट (variable interest rate) पर लोन लिया होता है. MCLR में वृद्धि से उनकी मासिक ईएमआई (EMI) बढ़ जाती है. जिससे उनके मासिक बजट पर असर पड़ता है.
भविष्य में MCLR की संभावनाएँ
बैंकिंग उद्योग में MCLR की दरों में निरंतर संशोधन बाजार की आर्थिक स्थितियों को दर्शाता है. यदि आर्थिक स्थितियाँ सुधरती हैं, तो MCLR दरों में कमी आ सकती है. जिससे लोन लेने वाले ग्राहकों को राहत मिल सकती है. हालांकि यदि मुद्रास्फीति (inflation) और अन्य आर्थिक कारकों में वृद्धि होती है, तो MCLR दरें आगे भी बढ़ सकती हैं. जिससे लोन लेना महंगा हो सकता है.














