Tomato price: टमाटर जिसे उत्तर और दक्षिण भारत में रसोई का राजा कहा जाता है. अब किसानों के लिए एक बड़ी परेशानी का सबब बन गया है. जहां एक समय में इसकी मांग किसानों के लिए फायदेमंद साबित होती थी. वहीं अब इसकी कीमतों में आई भारी गिरावट उन्हें भारी नुकसान में धकेल रही है.
अचानक आई गिरावट से हाहाकार
आंध्र प्रदेश में कुछ महीने पहले तक टमाटर की कीमत 80 रुपये प्रति किलोग्राम तक थी. लेकिन अब यह 10 रुपये प्रति किलोग्राम से भी नीचे गिर गई है. थोक बाजार में तो यह महज 5 रुपये प्रति किलोग्राम पर बिक रहा है. इस गिरावट के चलते किसानों की आर्थिक स्थिति पर भारी असर पड़ रहा है.
लागत निकालना भी बना चुनौती
राज्य में सरकारी वादों का अधूरा रह जाना भी किसानों के लिए समस्या बन चुका है. कीमतों को स्थिर करने के लिए आवंटित फंड का प्रयोग न हो पाना उन्हें निराश कर रहा है. बिचौलिए थोक बाजार में आने से पहले ही टमाटर को खेतों से कम कीमतों पर खरीद लेते हैं. जिससे किसानों को न तो उत्पादन लागत मिल पा रही है और न ही ट्रांसपोर्टेशन का खर्च.
हताश किसानों का दर्द
कई किसानों ने अपनी फसल को या तो फेंक दिया है या फिर बिना काटे खेत में सड़ने के लिए छोड़ दिया है. इस स्थिति ने सरकार और प्रशासन की लापरवाही की ओर इशारा किया है. जिन्होंने ऐसी व्यवस्थाओं का निर्माण नहीं किया जो किसानों की फसल को सुरक्षित रख सकें या उन्हें सही कीमत दिला सकें.
सरकारी उपेक्षा और किसानों की चुनौतियां
बाजार में टमाटर की कीमतों में भारी गिरावट के बावजूद सरकारी उपेक्षा और किसानों को समर्थन न मिलने के मुद्दे गंभीर चिंताजनक हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सरकार प्रिजर्वेशन सेंटर्स और कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं पर ध्यान देती, तो किसानों को अपनी फसलों की बेहतर कीमत मिल सकती थी.