EPF contribution: वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए एक आकर्षक निवेश विकल्प है, जो उन्हें अपने अनिवार्य ईपीएफ योगदान के अलावा अतिरिक्त बचत करने की सुविधा देता है. यह योजना कम जोखिम (Low Risk) और हाई रिटर्न (High Returns) प्रदान करने वाली सरकार समर्थित बचत योजना है. जिससे यह वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए और भी लाभकारी बन जाता है.
ईपीएफ के साथ VPF का महत्व
भारत में हर वेतनभोगी व्यक्ति का एक हिस्सा अनिवार्य रूप से कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में जमा किया जाता है, जो उनके रिटायरमेंट के लिए वित्तीय स्थिरता (Financial Stability) सुनिश्चित करता है. VPF इसी योगदान का एक विस्तार है. जिसमें कर्मचारी स्वेच्छा से अपने वेतन का एक बड़ा हिस्सा इस फंड में जमा कर सकते हैं. जिससे उनकी रिटायरमेंट बचत में सुधार होता है.
VPF में निवेश कैसे करें?
अगर आप अपने PF फंड्स को बढ़ाना चाहते हैं, तो VPF आपके लिए एक शानदार ऑप्शन हो सकता है. इसमें निवेश करने के लिए आपको अपने HR विभाग से संपर्क करके VPF में योगदान बढ़ाने का अनुरोध करना होता है. आप अपने मूल वेतन का 100% तक का योगदान (Contribution) इसमें कर सकते हैं, जिससे आपकी बचत में तेजी से वृद्धि होगी.
VPF योगदान के फायदे
VPF निवेश में योगदान न केवल आपकी बचत को बढ़ाता है. बल्कि यह आपको कर लाभ (Tax Benefits) भी प्रदान करता है. इसमें योगदान करने पर आप 80C के तहत टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं. इसके अलावा इस खाते में जमा धन पर मिलने वाला ब्याज भी कर मुक्त होता है.
VPF निकासी के नियम
VPF खाते से पैसे निकालने के नियम ईपीएफ के समान हैं. इसमें पांच वर्ष की लॉक-इन अवधि (Lock-in Period) होती है. लेकिन सेवानिवृत्ति, चिकित्सा आपातकाल और आवासीय जरूरतों जैसी विशेष परिस्थितियों में निकासी की अनुमति है. यह विशेषता इसे एक लचीली और व्यावहारिक बचत योजना बनाती है.
कौन चुन सकता है VPF?
कोई भी वेतनभोगी कर्मचारी जिसका ईपीएफ खाता है. VPF में निवेश कर सकता है. यह विकल्प उन कर्मचारियों के लिए उत्तम है जो अपनी रिटायरमेंट सेविंग्स को बढ़ाना चाहते हैं और अपनी वित्तीय सुरक्षा को मजबूत करना चाहते हैं. VPF में निवेश करके आप अपनी भविष्य की बचत को सुनिश्चित कर सकते हैं. जिससे आपके वृद्धावस्था के दिन सुरक्षित और आरामदायक होंगे.