पूरे देश में मानसून अपने रंग दिखाने लगा है। जहां एक ओर यह मौसम खेतों और फसलों के लिए वरदान साबित हो रहा है। वहीं दूसरी ओर भारी बारिश के कारण कई समस्याएं भी खड़ी हो रही हैं। इस वर्ष मानसून के आगमन के साथ ही सब्जियों के दामों में जबरदस्त वृद्धि देखने को मिल रही है।
जिससे आम जनता परेशान है। भारी बारिश के कारण कई जगह सब्जियां और फल खराब हो रहे हैं तो कई जगह यातायात प्रभावित होने के कारण सब्जियां समय पर बाजारों तक नहीं पहुंच पा रही हैं। इस स्थिति के चलते सब्जियों के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं।
टमाटर के दाम ने लगाया शतक
उपभोक्ता मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार खुदरा मार्केट में टमाटर के दामों ने शतक लगा दिया है। टमाटर के दाम 130 रुपये तक पहुंच चुके हैं। यह स्थिति केवल टमाटर तक ही सीमित नहीं है; आलू और प्याज के दाम भी 80-90 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए हैं।
जो शहर मानसून से अधिक प्रभावित हैं, वहां टमाटर के दाम 100 रुपये के पार हो चुके हैं। उदाहरण के तौर पर मंगलवार को अंडमान निकोबार में टमाटर 116.67 रुपये प्रति किलो बिका। इसके अलावा आलू का भाव 61.67 रुपये प्रति किलो और प्याज 60 रुपये प्रति किलो था।
दिल्ली और बिहार में सब्जियों के दाम
दिल्ली में प्याज के भाव 50 रुपये प्रति किलो, टमाटर 40 रुपये प्रति किलो और आलू 40 रुपये प्रति किलो में मिल रहा है। बिहार में टमाटर के दाम 40.19 रुपये प्रति किलो, आलू के दाम 30 रुपये प्रति किलो और प्याज 35.89 रुपये प्रति किलो है। इन कीमतों ने आम जनता की जेब पर भारी असर डाला है और उन्हें अपनी जरूरतों को पूरा करने में मुश्किल हो रही है।
नागालैंड, मेघालय और सिक्किम में महंगाई
नागालैंड, मेघालय, सिक्किम, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश में सब्जियों के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं। मानसून के कारण इन राज्यों में सप्लाई कम हो गई है। जिससे दामों में वृद्धि हो रही है। मंगलवार को नागालैंड में आलू के दाम 33.38 रुपये प्रति किलो, टमाटर के दाम 76.56 रुपये प्रति किलो और प्याज के दाम 59.38 रुपये प्रति किलो रहे। इसी तरह मेघालय में आलू 37.4 रुपये प्रति किलो, टमाटर 81.5 रुपये प्रति किलो और प्याज 48.1 रुपये प्रति किलो में मिला। सिक्किम में टमाटर 71.2 रुपये प्रति किलो, आलू 36.6 रुपये प्रति किलो और प्याज 56 रुपये प्रति किलो बिका।
आपूर्ति में बाधा
भारी बारिश के कारण सब्जियों की आपूर्ति में बाधा आ रही है। किसान अपने खेतों में फसलों को सुरक्षित नहीं रख पा रहे हैं और कई जगहों पर फसलें बर्बाद हो रही हैं। इसके साथ ही यातायात की दिक्कतों के कारण सब्जियों को बाजारों तक पहुंचाना भी मुश्किल हो रहा है। ट्रांसपोर्टेशन के प्रभावित होने से सब्जियों की सप्लाई चेन टूट रही है, जिससे उनके दाम बढ़ रहे हैं।