Indian Railway: कल शहीद-ए-आजम भगत सिंह की 117वीं जयंती थी जो न केवल भारतीय इतिहास में एक गौरवमयी पल है. बल्कि यह दिन हमें उनके बलिदान और देश के प्रति उनके अटूट प्रेम की याद दिलाता है. भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब के लायलपुर जिले में हुआ था, जो आज पाकिस्तान में है.
हुसैनीवाला गांव
भगत सिंह का अंतिम संस्कार पंजाब के हुसैनीवाला गांव में किया गया था. जो उनकी वीरता और शहादत का प्रतीक है. उनकी समाधि आज भी वहां मौजूद है, जो उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल बन गई है.
रेलवे लाइन का ऐतिहासिक महत्व
यह अनोखी रेलवे लाइन फिरोजपुर से हुसैनीवाला तक जाती है और यह सिर्फ विशेष अवसरों पर ही चालू होती है. यह लाइन भारत-पाकिस्तान की विभाजन के समय की गाथाओं को भी समेटे हुए है. जिसमें भगत सिंह के सम्मान में विशेष ट्रेन चलाई जाती है.
विशेष दिनों पर ट्रेन सेवा
यह ट्रेन सेवा साल में केवल दो बार चलती है. जिसमें एक बार बैसाखी के दौरान और दूसरी बार भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की पुण्यतिथि के दिन चलाई जाती है. यह उनकी याद में एक विशेष आयोजन है.
रेलवे ट्रैक का अंत
हुसैनीवाला बॉर्डर पर रेलवे ट्रैक समाप्त हो जाती है, जो भगत सिंह की समाधि स्थल के नजदीक है. यहाँ पर एक बोर्ड लगा है जिस पर लिखा है- ‘The end of northern railways’ जो इस ऐतिहासिक स्थल के महत्व को दर्शाता है.