Harvesting Reaper Binder: मध्य प्रदेश जो अपनी विविध फसलों के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है. मध्य प्रदेश में धान और गेहूं की फसलें मुख्य रूप से उगाई जाती हैं. इन फसलों की कटाई के लिए आज के समय में मजदूरी काफी महंगी हो गई है और मजदूर भी समय पर उपलब्ध नहीं होते. इस समस्या का समाधान ढूंढते हुए किसानों के लिए नई छोटी-छोटी मशीनें विकसित की गई हैं जो न केवल समय बचाती हैं बल्कि लागत भी कम करती हैं. इन मशीनों पर सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी भी एक बड़ी राहत प्रदान करती है.
नई कृषि मशीनों की विशेषताएँ
शहडोल के कृषि अभियांत्रिकी विभाग के असिस्टेंट इंजीनियर रितेश पयासी ने बताया कि आज की तकनीकी उन्नति ने धान और गेहूं की कटाई के लिए मजदूरों की कमी की समस्या को काफी हद तक सुलझा दिया है. दो मुख्य मशीनें—स्वचालित रीपर मशीन और रीपर कम बाइंडर मशीन—विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं जिनका उपयोग करके किसान अपने खेतों की कटाई को और अधिक कुशलतापूर्वक संभाल सकते हैं. ये मशीनें नरवाई जलाने की आवश्यकता को भी समाप्त करती हैं जो पर्यावरण के लिए लाभदायक है.
मशीनों की तकनीकी कार्यप्रणाली
स्वचालित रीपर मशीन जो कि 5 एचपी के इंजन से संचालित होती है हाथ से चलने वाली मशीन है जो धान और गेहूं की कटाई को सरल बनाती है. इसके अलावा रीपर कम बाइंडर मशीन फसल की कटाई के साथ-साथ बंधाई का काम भी करती है जिसे स्थानीय भाषा में बोझा बांधना कहा जाता है. इन मशीनों का उपयोग करने से किसान कई घंटे की मेहनत और लागत को बचा सकते हैं.
सरकारी सब्सिडी और इसका लाभ
सरकारी सब्सिडी के साथ ये मशीनें और भी अधिक किफायती हो जाती हैं. स्वचालित रीपर मशीन की कीमत लगभग एक लाख 40 हजार से एक लाख 50 हजार रुपए के बीच है जिस पर 75 हजार रुपए तक की सब्सिडी उपलब्ध है. वहीं रीपर कम बाइंडर मशीन की कीमत लगभग 5 लाख रुपए है जिस पर 2.5 लाख रुपए तक की सब्सिडी मिल सकती है. यह सब्सिडी किसानों को अधिक उन्नत तकनीकी का उपयोग करने का मौका देती है.
मशीन खरीदने की प्रक्रिया
इन मशीनों को खरीदने के लिए किसानों को ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर आवेदन करना होता है. इस पोर्टल पर समय-समय पर आवेदन की अवधि खोली जाती है और कृषकों का चयन लॉटरी के माध्यम से किया जाता है. यह प्रक्रिया किसानों को नई तकनीकी से लैस होने में सहायता करती है और उन्हें अपनी खेती को अधिक समय और लागत प्रभावी तरीके से चलाने की क्षमता प्रदान करती है.