सोशल मीडिया पर फैले एक विचित्र प्रथा के वीडियो जिसमें ऊंटों को जिंदा सांप खिलाया जा रहा है. वीडियो ने कई सवाल खड़े किए हैं. यह घटना मुख्य रूप से मिडिल ईस्ट के कुछ हिस्सों में देखी गई है जहां लोग इसे एक बीमारी के इलाज के रूप में अपनाते हैं. इस अजीबोगरीब चिकित्सा प्रथा का विश्लेषण करते हुए आज हम उन कारणों पर प्रकाश डालेंगे जिनकी वजह से यह प्रथा आज भी जीवित है.
ऊंटों को सांप क्यों खिलाया जाता है? (Why Are Camels Fed Snakes?)
इस परंपरा का मूल विचार यह है कि कुछ विशेष बीमारियों, जिन्हें स्थानीय भाषा में ‘हयाम’ कहा जाता है. हयाम का इलाज सांप खिलाकर किया जा सकता है. इस बीमारी में ऊंट अनेक लक्षण जैसे सुस्ती, सूजन, बुखार और एनीमिया से ग्रस्त होते हैं. माना जाता है कि सांप का जहर इन लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है.
विवाद और वैज्ञानिक सच्चाई (Controversy and Scientific Truth)
जहां एक ओर यह प्रथा कई स्थानीय लोगों के लिए उपचारात्मक मानी जाती है. वहीं विज्ञान के अनुसार इसके पीछे कोई ठोस आधार नहीं है. विशेषज्ञों का कहना है कि सांप खिलाना न केवल गैर-वैज्ञानिक है बल्कि इससे ऊंट के स्वास्थ्य पर और भी विपरीत प्रभाव पड़ सकते हैं.
सांप खिलाने की प्रक्रिया (Process of Feeding Snakes)
इस प्रक्रिया में, विषैले सांपों जैसे कि पाइथन और कोबरा को ऊंटों को खिलाया जाता है. इस दौरान जहर के प्रसारण की उम्मीद की जाती है जो कि ऊंटों की बीमारी को ठीक करने के लिए माना जाता है. यह प्रक्रिया अत्यधिक जोखिम भरी है और अक्सर इसके कारण ऊंटों को गंभीर पीड़ा होती है.
वैज्ञानिक समुदाय की आपत्ति (Objections from the Scientific Community)
वैज्ञानिक समुदाय इस प्रथा को क्रूर और अनुचित मानता है. क्योंकि इसमें न केवल ऊंटों को बल्कि सांपों को भी अनावश्यक पीड़ा दी जाती है. इसके अलावा, इस तरह के उपचार से ऊंटों की स्वास्थ्य समस्याएं और भी बढ़ सकती हैं.
समाज में जागरूकता और शिक्षा की आवश्यकता (Need for Awareness and Education in Society)
इस प्रकार की प्रथाओं के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने और वैज्ञानिक आधारित उपचारों को अपनाने की आवश्यकता है. शिक्षा और समझ के माध्यम से ही हम ऐसी परंपराओं को खत्म कर सकते हैं जो न केवल गैर-वैज्ञानिक हैं बल्कि जीवों के प्रति क्रूर भी हैं.