Bank of India: बैंक ऑफ इंडिया जिसे 7 सितंबर 1906 को मुंबई के व्यापारिक समुदायों के प्रमुख लोगों ने स्थापित किया था. आज अपनी स्थापना के 118 साल पूरे कर चुका है. इसकी शुरुआती पूंजी मात्र 50 लाख रुपये थी, जो उस समय के पारसी, भाटिया, गुजराती बनिया, बोहरा मुस्लिम और यहूदी समुदायों ने मिलकर जुटाई थी. बैंक का उद्देश्य न केवल व्यापारिक सहायता प्रदान करना था बल्कि सामाजिक उत्थान में भी योगदान देना था.
मुख्य संस्थापक और राष्ट्रीयकरण
बैंक के मुख्य संस्थापक शापुरजी ब्रोचा थे. जिन्होंने बैंक की नींव रखते हुए आर्थिक विकास की एक मजबूत दिशा प्रदान की. 1969 में जब भारत सरकार ने बैंक का राष्ट्रीयकरण किया. तब इसका मुख्य उद्देश्य समाज के अंतिम पायदान तक बैंकिंग सुविधाओं को पहुंचाना था. राष्ट्रीयकरण के बाद बैंक ने अपनी सेवाओं का विस्तार देश के कोने-कोने तक किया.
नई तकनीक और प्रौद्योगिकी में आगे
1982 में, बैंक ऑफ इंडिया ने हेल्थ कोड सिस्टम लागू किया, जो कि उस समय के लिए एक क्रांतिकारी कदम था. इस प्रणाली के तहत बैंक अपने क्रेडिट पोर्टफोलियो की रेटिंग कर सकता था. जिससे जोखिम को कम करने में मदद मिली. साथ ही बैंक ऑफ इंडिया SWIFT के पहले भारतीय संस्थापक बैंकों में से एक था. जिसने अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग में अपनी पहचान बनाई.
एटीएम और कंप्यूटरीकरण
1989 में मुंबई की महालक्ष्मी शाखा में पहली बार एटीएम सुविधा की शुरुआत की गई, जो कि भारतीय सरकारी बैंकों में देश की पहली कंप्यूटराइज्ड शाखा बन गई. इससे ग्राहकों को बड़ी सहूलियत हुई और बैंक की सेवाएं और भी तेजी से उपलब्ध हो सकीं.
शेयर बाजार में प्रवेश और विस्तार
1997 में बैंक ऑफ इंडिया का शेयर बाजार में सूचीबद्ध होना एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था. इसने बैंक को अधिक पूंजी जुटाने और अपने कारोबार को वैश्विक स्तर पर फैलाने का अवसर प्रदान किया. 2008 में पहली बार क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट के जरिए भी बैंक ने महत्वपूर्ण धनराशि एकत्रित की.
अंतर्राष्ट्रीय उपस्थिति
बैंक ऑफ इंडिया की वर्तमान में 15 देशों में मौजूदगी है. इसके सहायक कंपनियों सहित विदेशों में 47 शाखाएं हैं. यह वैश्विक विस्तार बैंक के व्यापारिक दृष्टिकोण और ग्राहक सेवा के प्रति समर्पण को दर्शाता है.