world largest diamond: कोहिनूर जिसका नाम अक्सर इतिहास के पन्नों में चमकता दिखाई देता है। वह न केवल अपने आकार के लिए बल्कि अपनी रोमांचक यात्रा के लिए भी विश्वविख्यात है। यह हीरा सदियों से राजाओं और सम्राटों का प्रिय रहा है और आज भी उसकी कहानियां लोगों के बीच जिज्ञासा का विषय बनी हुई हैं।
कोहिनूर का ऐतिहासिक सफर
13वीं शताब्दी में भारत में पहली बार पाया गया यह हीरा गोलकुंडा की खदानों से निकाला गया था। गोलकुंडा जो वर्तमान में आंध्र प्रदेश में स्थित है। उस समय हीरों की खदानों के लिए प्रसिद्ध था। कोहिनूर का वजन मूल रूप से लगभग 793 कैरेट था। जिसे कई बार काटा और चमकाया गया और आज इसका वजन लगभग 105.6 कैरेट है।
कोहिनूर की भूगोलिक यात्रा और स्वामित्व
कोहिनूर का इतिहास बेहद उतार-चढ़ाव भरा रहा है। मुगलों, अफगानों, सिखों और ब्रिटिश साम्राज्य के हाथों से होते हुए यह हीरा कई ताकतवर हस्तियों का हिस्सा बना। 1849 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने पंजाब के अंतिम सिख महाराजा दलीप सिंह से यह हीरा हासिल किया और इसे ब्रिटेन ले जाया गया।
कोहिनूर की वर्तमान स्थिति
कोहिनूर आज भी दुनिया के सबसे प्रसिद्ध हीरों में से एक है। इसका नाम सुनते ही जेहन में राजसी शान और ऐतिहासिक महत्व की तस्वीर उभर आती है। इस हीरे को देखने के लिए विश्व भर से लोग ब्रिटेन के टॉवर में आते हैं, जहां यह संग्रहीत है।
कोहिनूर और भारतीय सांस्कृतिक विरासत
कोहिनूर न केवल एक हीरा है बल्कि यह भारतीय सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। इसके हर पहलू में भारत के इतिहास की गूँज सुनाई देती है। यह हीरा आज भी भारतीयों के लिए गर्व और उत्सुकता का विषय है और कई भारतीय इसे अपने देश में वापस लाने की आशा रखते हैं।