Expensive Indian Crop: भारतीय किसानों की आय को लेकर निरंतर चर्चाएं होती रहती हैं। विविधता से भरपूर भारत में किसान विभिन्न प्रकार की फसलें उगाकर अपनी आजीविका चलाते हैं। इसी क्रम में जम्मू और कश्मीर के किसानों ने केसर की खेती को अपनाया है। जिससे उन्हें अपेक्षाकृत अधिक मुनाफा हो रहा है। केसर जिसे स्थानीय भाषा में ‘लाल सोना’ भी कहा जाता है। उनकी आय में काफी बढ़ोतरी कर रहा है।
केसर की खेती का आर्थिक पहलू
केसर की खेती जिसे कश्मीरी किसान विशेष तौर पर करते हैं। उन्हें प्रति किलो तीन लाख रुपये तक का लाभ दे रही है। यह फसल कश्मीर के अनूठे भौगोलिक परिवेश में सर्वोत्तम उत्पन्न होती है। जीआई टैग प्राप्त होने के बाद कश्मीरी केसर की मांग वैश्विक बाजार में बढ़ी है। जीआई टैगिंग से इस उत्पाद की प्रामाणिकता और विशिष्टता सुनिश्चित होती है। जिससे इसकी वैश्विक पहुंच और मूल्य दोनों में वृद्धि हुई है।
कश्मीरी केसर की अंतरराष्ट्रीय मांग
केसर की खेती के लिए आवश्यक विशेष जलवायु केवल कश्मीर में ही मिलती है, जो इस फसल को विशेष बनाती है। अमेरिका, कनाडा और यूरोप जैसे देशों से इसकी बढ़ती मांग ने कश्मीरी केसर के किसानों को एक नई आर्थिक उम्मीद दी है। केसर की विशेषता और ज्यादा भाव के कारण किसानों को अपनी फसलों से अच्छा खासा मुनाफा होता है।
केसर के दामों में उछाल का प्रभाव
पिछले कुछ वर्षों में केसर के दामों में आया जबरदस्त उछाल इसके उत्पादन और विपणन में बदलाव का सूचक है। कश्मीरी केसर को विश्वव्यापी पहचान और मूल्य मिलने से न केवल स्थानीय बाजार में इसकी कीमतें बढ़ी हैं। बल्कि इसने किसानों के जीवन स्तर में भी सुधार किया है।