मुकेश अंबानी जो कि रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक हैं और एशिया के सबसे धनी व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं. मुकेश अंबानी की सुरक्षा बेहद सख्त है. उन्हें दिया गया सिक्योरिटी कवर उनकी उच्च प्रोफाइल और स्थिति के अनुरूप है. उनकी सुरक्षा में शामिल हैं सीआरपीएफ के जवान, एनएसजी कमांडो और मुंबई पुलिस के सदस्य.
जेड प्लस सिक्योरिटी
मुकेश अंबानी को प्रदान की गई Z प्लस सिक्योरिटी भारत में सुरक्षा के सबसे उच्च स्तरों में से एक है. इस स्तर की सुरक्षा में व्यक्ति को 24/7 निगरानी में रखा जाता है. इसमें सशस्त्र गार्ड्स और उच्च तकनीकी साजोसामान का उपयोग होता है.
सुरक्षा बलों की भूमिका और उनकी संख्या
मुकेश अंबानी की सुरक्षा में शामिल कर्मियों में 10 से अधिक एनएसजी कमांडो और 50 से अधिक सीआरपीएफ के जवान शामिल हैं. इनके अलावा मुंबई पुलिस के जवान भी उनकी सुरक्षा में तैनात रहते हैं. यात्रा के दौरान अन्य राज्यों में भी स्थानीय पुलिस सुरक्षा प्रदान करती है.
सुरक्षाकर्मियों की सैलरी
एनएसजी के ग्रुप कमांडर को हर महीने लगभग 1,00,000 से 1,25,000 रुपये वेतन मिलता है. जबकि स्क्वॉड्रन कमांडर को 90,000 से 1,00,000 रुपये और टीम कमांडर को 80,000 से 90,000 रुपये मिलते हैं. सीआरपीएफ के जवानों की सैलरी उनके पद और अनुभव पर निर्भर करती है.
एनएसजी कमांडो
एनएसजी कमांडो जिन्हें भारत की सबसे शक्तिशाली सुरक्षा इकाई माना जाता है. एनएसजी का गठन गृह मंत्रालय के अधीन किया गया है. इन्हें विशेष रूप से आतंकवादी हमलों और अन्य गंभीर खतरों से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है. एनएसजी कमांडो का चयन विभिन्न सशस्त्र बलों से किया जाता है.
एनएसजी के गठन का इतिहास
एनएसजी का गठन 16 अक्टूबर 1984 को हुआ था. उनकी ट्रेनिंग अत्यंत कठिन होती है, जो 90 दिनों तक चलती है. इस प्रशिक्षण के दौरान कमांडो को विभिन्न प्रकार की युद्ध कलाओं और रणनीतियों में दक्ष बनाया जाता है.
एनएसजी
एनएसजी का मॉडल जर्मनी के GSG9 से प्रेरित है. इस विशेष बल ने 26/11 के मुंबई हमलों जैसी बड़ी घटनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. ये कमांडो न केवल सुरक्षा की दृष्टि से बल्कि तकनीकी और रणनीतिक पहलुओं में भी सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं.