किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है ये खेती, 60 दिनों में मिलेगा बंपर रिटर्न

By Uggersain Sharma

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पारंपरिक खेती की चुनौतियों और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को देखते हुए। भारतीय किसान अब अधिक सुरक्षित और लाभकारी विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं। इस दिशा में मशरूम की खेती एक प्रमुख विकल्प के रूप में उभरी है। मशरूम की खेती को न केवल कम जगह में किया जा सकता है। बल्कि इसमें लागत भी कम लगती है और मुनाफा काफी अधिक होता है।

खेती की नई तकनीकें और कानपुर कृषि विश्वविद्यालय की भूमिका

कानपुर के चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने मशरूम उत्पादन में एक नई राह खोली है। विश्वविद्यालय ने न केवल किसानों को मशरूम उगाने की तकनीकी ट्रेनिंग प्रदान की है। बल्कि व्यावहारिक ज्ञान और सहायता भी उपलब्ध कराई है। इससे किसानों को नए युग की खेती की ओर बढ़ने में मदद मिली है।

60 दिनों में मशरूम उत्पादन से लाभ

विशेषज्ञों के अनुसार मशरूम की खेती में निवेश की गई राशि पर उच्च रिटर्न प्राप्त होता है। छोटी सी लागत और कम समय में किसानों को अपेक्षाकृत बड़ा मुनाफा होता है। एक छोटे से निवेश के साथ ही आप मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं और बाजार में उच्च मूल्य पर बेच सकते हैं।

मशरूम उत्पादन की तकनीक

मशरूम उत्पादन में उच्च तकनीकी और विज्ञान सम्मत तरीकों का उपयोग होता है। ढींगरी मशरूम के लिए कंपोस्ट और धान गेहूं के अवशेषों का उपयोग करके बेहतरीन उत्पादन किया जा सकता है। यह प्रक्रिया पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ कम संसाधनों में अधिकतम उत्पादन सुनिश्चित करती है।

खेती की उन्नत विधियां और संभावनाएं

भारतीय कृषि विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों की बढ़ती भूमिका ने किसानों को नई खेती की विधियों से परिचित कराया है। मशरूम उत्पादन ने न केवल कृषि क्षेत्र में नई संभावनाएं खोली हैं। बल्कि यह आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है।

Uggersain Sharma

Uggersain Sharma is a Hindi content writer from Sirsa (Haryana) with three years of experience. He specializes in local news, sports, and entertainment, adept at writing across a variety of topics, making his work versatile and engaging.