भारतीय सरकार और वॉट्सऐप के बीच चल रहे हाल ही मे तनाव की खबरें गरमाई हुई हैं। वॉट्सऐप जो कि वैश्विक संदेशन सेवा क्षेत्र का एक प्रमुख खिलाड़ी है। अब नए आईटी एक्ट 2000 के प्रावधानों के चलते भारतीय बाजार से अपने कारोबार को समेटने की स्थिति में हो सकता है। यह नया विकास उन दावों के बाद सामने आया है। जिनमें कहा गया है कि सरकार वॉट्सऐप पर उपयोगकर्ताओं की जानकारी साझा करने के लिए दबाव डाल सकती है।
नए नियमों का अर्थ और प्रभाव
आईटी एक्ट 2000 के अंतर्गत सरकार यह अधिकार रखती है कि यदि आवश्यक हो, तो वह वॉट्सऐप से उपयोगकर्ताओं की जानकारी मांग सकती है। इस प्रावधान को आधार बनाकर यह दावा किया जा रहा है कि वॉट्सऐप भारतीय बाजार से अपना कारोबार समेट सकता है। इस कानूनी बदलाव के चलते वॉट्सऐप को सरकार के अनुरोध को मना करने का विकल्प नहीं होगा।
सरकार की प्रतिक्रिया और उसके दावे
आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में संसद में दिए गए एक लिखित जवाब में बताया कि वॉट्सऐप और उसकी मूल कंपनी मेटा ने भारत में अपनी सेवाओं को बंद करने की किसी भी योजना की जानकारी नहीं दी है। यह जवाब कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा के एक सवाल के उत्तर में आया था। जिसमें उन्होंने वॉट्सऐप से यूजर डिटेल्स लेने और इसके बंद होने की संभावना पर प्रश्न उठाया था।
विवाद की जड़ में क्या है?
सरकार द्वारा वॉट्सऐप पर दबाव डालने के आरोपों के बीच सरकार ने स्पष्ट किया कि उनका मकसद सोशल मीडिया को कंट्रोल करना नहीं है। हालांकि सरकार यह भी जोर देती है कि वह राष्ट्र की एकता और संप्रभूता के मामले में किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगी। इस संबंध में वॉट्सऐप और सरकार के बीच पहले भी कई बार विवाद हो चुके हैं।
कोर्ट की भूमिका और वॉट्सऐप का रुख
वॉट्सऐप ने नए आईटी एक्ट के कुछ प्रावधानों को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है। कंपनी का कहना है कि ये प्रावधान यूजर्स की निजता के अधिकार के साथ समझौता करते हैं और असंवैधानिक हैं। वॉट्सऐप का मानना है कि एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन यूजर्स की प्राइवेसी की गारंटी देता है और यदि इसे तोड़ा जाता है तो यह उनके व्यापारिक मॉडल को ही खत्म कर देगा।