पुराने समय से ही भारतीय खेती-किसानी में ट्रैक्टर, थ्रेसर जैसे उपकरणों का उपयोग होता आया है। लेकिन समय के साथ-साथ कृषि क्षेत्र में भी आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल की आवश्यकता बढ़ गई है। इसी कड़ी में एग्रीकल्चर ड्रोन का आगमन हुआ है। पिछले कुछ सालों में केंद्र सरकार ने एग्रीकल्चर ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा दिया है। जिससे न केवल खेती की लागत कम होती है। बल्कि समय की भी बचत होती है और उपज की गुणवत्ता में सुधार आता है।
एग्रीकल्चर ड्रोन का महत्व
एग्रीकल्चर ड्रोन के उपयोग से किसानों को कई फायदे मिलते हैं। इसके इस्तेमाल से खेती में फसलों पर दवाओं और उर्वरकों का छिड़काव और सॉइल मैपिंग जैसे कार्यों में सहूलियत होती है। चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय (सीएसए) कानपुर के प्रोफेसर डॉ. सीएल मौर्या बताते हैं कि एग्रीकल्चर ड्रोन के माध्यम से किसान की लागत घटती है और मुनाफा बढ़ता है।
दवाओं और उर्वरकों के छिड़काव में सुधार
डॉ. मौर्या के अनुसार मैनुअल तरीके से एक एकड़ खेत में दवा या उर्वरक के छिड़काव के लिए 3-4 लोगों की आवश्यकता होती है और इसमें कई घंटे का समय भी लगता है। वहीं ड्रोन का उपयोग करने से यह काम मात्र 20 मिनट में हो जाता है और केवल एक व्यक्ति की जरूरत पड़ती है। इससे लेबर खर्च कम होता है, समय की बचत होती है और दवाओं की बर्बादी भी नहीं होती है।
सॉइल मैपिंग की आसानी
ड्रोन के माध्यम से सॉइल मैपिंग करना भी काफी आसान हो गया है। सॉइल मैपिंग से किसानों को उनकी जमीन की स्थिति और गुणवत्ता के बारे में सही जानकारी मिलती है। जिससे वे फसलों के लिए सही उर्वरकों और दवाओं का चयन कर सकते हैं। इससे फसलों की पैदावार में भी वृद्धि होती है।
एग्रीकल्चर ड्रोन की ट्रेनिंग
सीएसए कृषि विश्वविद्यालय ने एग्रीकल्चर ड्रोन ट्रेनिंग के कोर्स की शुरुआत की है। यह कोर्स 7 दिन का है। जिसमें 10वीं पास छात्र प्रवेश ले सकते हैं। किसानों एफपीओ या कृषि से जुड़े संगठन के लोग भी इस ट्रेनिंग का लाभ उठा सकते हैं। ट्रेनिंग की फीस 65000 रुपये निर्धारित की गई है। जिसमें राज्य सरकार 50 फीसदी छूट भी दे रही है।
राजस्थान सरकार की पहल
राजस्थान सरकार ने भी हाइटेक कृषि को बढ़ावा देने के लिए 10वीं पास लोगों को कृषि विभाग की ओर से ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग शुरू करने का निर्णय लिया है। कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर में 6 दिन की आवासीय ड्रोन ट्रेनिंग दी जाएगी। ट्रेनिंग के लिए 50,000 रुपये फीस निर्धारित की गई है। जिसमें छूट के बाद आवेदक को सिर्फ 9,300 रुपये देना होगा।
रोजगार के अवसर
ड्रोन ट्रेनिंग के बाद युवाओं के लिए रोजगार के कई अवसर उपलब्ध होते हैं। डॉ. मौर्या बताते हैं कि जैसे ट्रैक्टर खरीदकर लोग दूसरों के खेतों की जुताई, कटाई और मढ़ाई करके पैसे कमाते हैं। वैसे ही ड्रोन ट्रेनिंग लेने वाले युवा भी अच्छी कमाई कर सकते हैं।
इसके अलावा सरकारी और निजी क्षेत्र में भी ड्रोन ऑपरेटर के रूप में नौकरी के अवसर हैं। सरकारी क्षेत्र में कृषि विभाग कृषि संस्थानों और एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में नौकरी की जा सकती है। वहीं निजी कंपनियों में भी ड्रोन ऑपरेटर के रूप में सर्वेयर, मैपिंग के तौर पर नौकरी हासिल की जा सकती है।