Hydrogen Train: भारतीय रेलवे की बुनियादी ढांचे में व्यापक सुधार और नवीनीकरण की प्रक्रिया तेजी से चल रही है, जिसका नेतृत्व मोदी सरकार कर रही है। इस क्रम में कवच सिस्टम और हाइड्रोजन ट्रेनें जैसी नई तकनीकों का समावेश किया गया है जो रेलवे को अधिक सुरक्षित और पर्यावरण-अनुकूल बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
कवच सिस्टम
रेलवे बोर्ड के सदस्य अनिल कुमार खंडेलवाल के अनुसार कवच सिस्टम, जो कि एक आधुनिक सुरक्षा प्रणाली है। इस सुरक्षा प्रणाली का काम 1400 किमी ट्रैक पर पूरा हो चुका है। यह सिस्टम ट्रेनों के बीच संचार को मजबूत करता है और टकराव को रोकने में सहायक है। इसके अतिरिक्त दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा रूट पर इसकी स्थापना तेजी से चल रही है।
हाइड्रोजन ट्रेन परियोजना
खंडेलवाल ने यह भी बताया कि भारत अपनी पहली हाइड्रोजन ट्रेन चलाने की तैयारी में है। जिसे इस साल पटरी पर उतारा जाएगा। इन ट्रेनों का उपयोग न केवल पर्यावरण के अनुकूल होगा। बल्कि यह 2047 तक देश में 50 हाइड्रोजन ट्रेनों के संचालन का भी लक्ष्य रखता है।
गति शक्ति योजना और त्वरित प्रगति
गति शक्ति योजना के तहत, रेलवे परियोजनाओं की मंजूरी और निर्माण की गति में काफी सुधार हुआ है। इसके चलते प्रतिदिन लगभग 14.50 किमी ट्रैक का निर्माण किया जा रहा है। 2027 तक भारत में पहली बुलेट ट्रेन के संचालन की भी उम्मीद है।
पर्यावरण के लिए लाभकारी पहल
हाइड्रोजन ट्रेनें न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी होंगी बल्कि ये रेलवे को और अधिक कुशल बनाने में मदद करेंगी। ये पहलें रेलवे को पर्यावरण-हितैषी बनाने के साथ-साथ यात्रा का समय कम करने और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में सहायक होंगी। इस तरह के प्रयासों से भारतीय रेलवे न केवल आधुनिकीकरण की ओर अग्रसर होगा। बल्कि वैश्विक मानकों पर खरा उतरने की दिशा में भी कदम बढ़ाएगा।