भारतीय किसान पारंपरिक फसलों के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के फल और सब्जियां उगाकर अपनी आमदनी बढ़ाने की दिशा में निरंतर प्रयासरत हैं। विशेष रूप से फलों की खेती उनके लिए मोटे मुनाफे का स्रोत बनती जा रही है। इनमें ड्रैगन फ्रूट की खेती प्रमुखता से उभर रही है, जो भारत में तेजी से लोकप्रियता प्राप्त कर रही है।
मुख्यमंत्री बागवानी मिशन के तहत बढ़ावा
राज्य के चौथे कृषि रोड मैप के अंतर्गत मुख्यमंत्री बागवानी मिशन ने ड्रैगन फ्रूट की खेती को बढ़ावा देने के लिए 3 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता मंजूर की है। इस योजना के तहत अगले तीन वर्षों में 21 जिलों में ड्रैगन फ्रूट के बागान विकसित किए जाएंगे। यह कदम न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने की दिशा में एक मजबूत पहल है बल्कि यह प्रदेश के कृषि विकास में भी एक नई क्रांति की शुरुआत करेगा।
अनुदान और सहायता
बाजार में ड्रैगन फ्रूट की बढ़ती मांग के मद्देनजर खेती के विस्तार के लिए डीपीआर तैयार की गई है। ड्रैगन फ्रूट की खेती की कुल लागत 7,50,000 रुपये है। जिसमें किसानों को 40% तक का अनुदान दिया जाएगा। यह अनुदान तीन किस्तों में दिया जाएगा। जिससे किसानों को वित्तीय रूप से सहायता मिलेगी। इससे उन्हें उच्च मूल्य की इस फसल को उगाने में सहायता प्राप्त होगी।
खेती के लिए चुने गए जिले
ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए बिहार के विभिन्न जिले जैसे जहानाबाद, सारण, सीवान, सुपौल और भोजपुर चुने गए हैं। यह विस्तार न केवल इन जिलों की कृषि विविधता को बढ़ाएगा। बल्कि स्थानीय किसानों को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद करेगा।
ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया
योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों को डीबीटी पोर्टल पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करने की सुविधा प्रदान की गई है। यह डिजिटल पहल न केवल प्रक्रिया को सरल बनाएगी। बल्कि यह सुनिश्चित करेगी कि अधिक से अधिक किसान इसका लाभ उठा सकें।
लाभान्वित होने वाले किसानों की श्रेणी
बिहार कृषि विभाग के अनुसार योजना का फायदा मुख्य रूप से सामान्य वर्ग के किसानों को मिलेगा। जिसमें 78.56% सामान्य, 20% अनुसूचित जाति, 1.44% अनुसूचित जनजाति और 30% महिलाओं को विशेष रूप से लाभान्वित किया जाएगा। यह योजना विभिन्न समुदायों के बीच समानता और आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
औषधीय महत्व का फल
ड्रैगन फ्रूट को उसके औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है। यह फल कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। जिसमें अन्तर्निहित रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार और पाचन में मदद शामिल हैं। बाजार में इसकी उच्च मांग के कारण किसानों को इसकी खेती से अच्छा मुनाफा मिलने की संभावना है।