यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीएससी) सिविल सर्विसेज एग्जामिनेशन (सीएसई) भारत में सबसे प्रतिष्ठित और कठिन परीक्षाओं में से एक है। इस परीक्षा का मुख्य उद्देश्य देश की सेवा करने और जनता का सम्मान अर्जित करने के इच्छुक युवाओं को चुनना है। हर साल लाखों उम्मीदवार इस परीक्षा में भाग लेते हैं। लेकिन कुछ ही इसे पास कर पाते हैं। इसके लिए उम्मीदवारों को गहन तैयारी, पूर्ण समर्पण और दृढ़ संकल्प की आवश्यकता होती है।
चुनौतियों से भरी यात्रा
यूपीएससी सीएसई को पास करने की यात्रा केवल कड़ी मेहनत और रणनीति से ही संभव है। ज्यादातर उम्मीदवार इस परीक्षा की तैयारी कोचिंग कक्षाओं के माध्यम से करते हैं। जहां उन्हें विषयों की गहरी समझ और परीक्षा की बारीकियों से अवगत कराया जाता है। फिर भी कई बार ये परीक्षा इतनी चुनौतीपूर्ण होती है कि बहुत से योग्य उम्मीदवार भी सफल नहीं हो पाते।
प्रेरणा की मूर्त रूप – दिव्या तंवर की कहानी
इसी कड़ी में महेंद्रगढ़, हरियाणा की दिव्या तंवर की यात्रा विशेष रूप से प्रेरणादायक है। दिव्या ने अपनी शुरुआती शिक्षा सरकारी स्कूल से पूरी की और बाद में नवोदय विद्यालय में अध्ययन किया। उन्होंने गरीबी और संघर्षों का सामना किया लेकिन कभी हार नहीं मानी। 2011 में अपने पिता की मृत्यु के बाद, दिव्या और उनकी माँ ने भारी वित्तीय संकट का सामना किया। फिर भी दिव्या ने विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की और यूपीएससी सीएसई में अपनी किस्मत आजमाई।
सफलता की ओर अग्रसर
उनकी कड़ी मेहनत, रणनीति और संकल्प ने उन्हें 2021 में अपने पहले प्रयास में सफलता दिलाई। जहां उन्होंने 438 वीं रैंक हासिल की। इस सफलता ने उन्हें न केवल एक उदाहरण के रूप में स्थापित किया। बल्कि यह भी दर्शाया कि दृढ़ संकल्प और सही मार्गदर्शन के साथ कोई भी सफलता प्राप्त कर सकता है।
प्रेरणा और प्रशंसा
आज दिव्या तंवर न केवल एक आईएएस अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएँ दे रही हैं। बल्कि वे अपने सोशल मीडिया के माध्यम से भी अन्य यूपीएससी उम्मीदवारों को प्रेरित कर रही हैं। उनकी कहानी उन सभी के लिए एक मिसाल है जो कठिन परिस्थितियों में भी अपने सपनों को साकार करने का जज्बा रखते हैं।
दिव्या तंवर की सफलता कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। यह दर्शाती है कि संघर्षों के बावजूद सफलता संभव है और सपने सच हो सकते हैं।