हरियाणा में इस साल हरियाली तीज का त्योहार 7 अगस्त को मनाया जाएगा। हरियाणा सरकार ने इसके अधिकारिक आदेश जारी कर दिए हैं। इससे पहले सरकारी कलेंडर के अनुसार हरियाली तीज 6 सितंबर को मनाई जानी थी। लेकिन अब सरकार ने इसमें बदलाव कर दिया है और इसकी तारीख बदलकर 7 अगस्त कर दी है।
हरियाली तीज का महत्व
हरियाली तीज महिलाओं का प्रमुख त्योहार है, जिसे खासतौर पर उत्तर भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार श्रावण महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है और इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। हरियाली तीज का पर्व हरियाली और सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन महिलाएं विशेष रूप से सोलह शृंगार करती हैं और झूला झूलती हैं।
तीज के त्यौहार की तैयारी
हरियाली तीज के त्यौहार की तैयारी कई दिनों पहले से ही शुरू हो जाती है। महिलाएं इस दिन के लिए विशेष रूप से नई साड़ियां, गहने और मेंहदी का इंतजाम करती हैं। बाजारों में भी तीज के अवसर पर विशेष रौनक देखने को मिलती है। मिठाइयों की दुकानों पर घेवर, मालपुआ और अन्य मिठाइयों की बिक्री भी बढ़ जाती है। तीज के गीतों और नृत्यों की भी तैयारी की जाती है। जिससे यह त्योहार और भी खास बन जाता है।
सरकारी आदेश और नई तारीख
हरियाणा सरकार ने हरियाली तीज की तारीख में बदलाव कर इसे 7 अगस्त को मनाने के आदेश जारी किए हैं। इससे पहले सरकारी कलेंडर के अनुसार यह त्योहार 6 सितंबर को मनाया जाना था। सरकारी आदेश के अनुसार इस बदलाव का मुख्य कारण धार्मिक मान्यताओं और पंचांग के अनुसार तीज का सही दिन निर्धारित करना है। सरकार ने यह फैसला जनता की भावनाओं और धार्मिक मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए लिया है।
तीज के दिन की गतिविधियाँ
हरियाली तीज के दिन महिलाएं सुबह से ही पूजा की तैयारी में लग जाती हैं। वे मंदिरों में जाकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। इस दिन महिलाएं व्रत भी रखती हैं और पूरे दिन निर्जला व्रत रखकर शाम को पूजा के बाद ही भोजन ग्रहण करती हैं। महिलाएं एक-दूसरे के घर जाकर तीज के गीत गाती हैं और झूला झूलती हैं। यह दिन महिलाओं के लिए विशेष होता है। क्योंकि इस दिन वे अपनी सहेलियों और परिवार के साथ खुशियाँ बांटती हैं।
तीज का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
हरियाली तीज का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी बहुत अधिक है। धार्मिक दृष्टि से यह त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा कर उनके आशीर्वाद से अपने वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य की कामना करती हैं। सांस्कृतिक दृष्टि से यह त्योहार हमारे समाज में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है और उनके सम्मान का प्रतीक है।