Agriculture News: आलू की इस खास किस्म की खेती करें किसान, महज इतने दिनों में हो जाओगे मालामाल

By Vikash Beniwal

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Agriculture News: बुंदेलखंड के सागर जिले में इस समय लाल पहाड़ी आलू की खेती जोर-शोर से की जा रही है। यह आलू न केवल अपनी विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि डायबिटीज के मरीजों के लिए भी बेहद लाभकारी माना जाता है। इस आलू को शुगर फ्री आलू भी कहा जाता है, क्योंकि इसे खाने से डायबिटीज के मरीजों को कोई समस्या नहीं होती है। आइए जानते हैं इस आलू की खेती और उसके फायदों के बारे में।

लाल पहाड़ी आलू, जिसे कंद के रूप में जाना जाता है, विशेष रूप से बंगाल के पहाड़ी क्षेत्रों में उगाया जाता है। यह आलू डायबिटीज के मरीजों के लिए उपयुक्त होता है, क्योंकि इसमें शर्करा की मात्रा कम होती है। इसकी खेती बुंदेलखंड क्षेत्र के किसानों के लिए एक नई आशा लेकर आई है। जैसे-जैसे भारत में शुगर के मरीजों की संख्या बढ़ रही है, किसान भी इस आलू की खेती को अपना रहे हैं।

लाल पहाड़ी आलू की खेती के लिए कुछ खास उपायों की आवश्यकता होती है। एक एकड़ भूमि पर 800 से 1000 किलो बीज की आवश्यकता होती है। गोबर की खाद और बेस्ट डी कंपोजर डालकर अच्छी तरह से जुताई की जाती है। सिंचाई के लिए स्प्रिंकलर या ड्रिप पद्धति का उपयोग किया जा सकता है, जिससे पानी की बचत होती है और आलू की फसल को सही मात्रा में पानी मिलता है।यह फसल लगभग 100 दिनों में तैयार हो जाती है और 80 से 100 क्विंटल तक उपज प्राप्त होती है।

लाल आलू की बिक्री के लिए किसानों को अधिक मेहनत करने की आवश्यकता नहीं पड़ती। पिछले साल आकाश चौरसिया ने इसके बीज तैयार किए और अब 2 एकड़ में इसकी खेती कर रहे हैं। इसके अलावा, वे इस साल अलग-अलग वैरायटी के आलू की 5 एकड़ में खेती कर रहे हैं। बाजार में इसकी अच्छी डिमांड है, जिससे किसानों को बेहतर लाभ मिल रहा है।

Vikash Beniwal

मेरा नाम विकास बैनीवाल है और मैं हरियाणा के सिरसा जिले का रहने वाला हूँ. मैं पिछले 4 सालों से डिजिटल मीडिया पर राइटर के तौर पर काम कर रहा हूं. मुझे लोकल खबरें और ट्रेंडिंग खबरों को लिखने का अच्छा अनुभव है. अपने अनुभव और ज्ञान के चलते मैं सभी बीट पर लेखन कार्य कर सकता हूँ.