उत्तराखंड के मैदानी इलाकों में इस वर्ष गर्मी ने सभी पुराने रिकॉर्ड्स को तोड़ दिया है। तापमान के बढ़ते पारे से जहां इंसान परेशान हैं वहीं जानवर भी इस भीषण गर्मी से व्याकुल हैं। हाथियों के व्यवहार में आए बदलाव ने चिंता की नई लकीरें खींच दी हैं।
हाथियों का बदलता व्यवहार और गर्मी का असर
उत्तराखंड के वन विभाग के कर्मी रवि कुमार और नेचर गाइड सौरभ कलखुड़िया के अनुसार दो मुख्य कारण हैं जो हाथियों को आक्रामक बना रहे हैं। पहला तापमान में निरंतर बढ़ोतरी और दूसरा जंगलों में पानी के स्रोतों का सूख जाना। इस तापमान में हाथी अपने आप को शांत रखने के लिए पेड़-पौधों पर अपना गुस्सा उतार रहे हैं।
शारदा नदी और घने पेड़ों की छांव में राहत की तलाश
गर्मी से राहत पाने के लिए हाथी शारदा नदी के किनारे या फिर घने पेड़ों की छांव में स्थान खोज रहे हैं। पानी की कमी के कारण हाथियों को शरीर पर लगाने के लिए कीचड़ भी नहीं मिल पा रहा है जो कि उनके लिए बहुत जरूरी है ताकि वे अपने शरीर को ठंडा रख सकें।
मानसून
वन्यजीव विशेषज्ञ सौरभ का कहना है कि मानसून की बारिश ही हाथियों को सही राहत दे सकती है। 30 से 35 डिग्री सेल्सियस के तापमान में हाथी आराम से रह लेते हैं। बारिश के बाद जंगल में फिर से कीचड़ बनेगी और हाथी अपने शरीर पर कीचड़ लगाकर गर्मी से राहत पा सकेंगे।
जंगल में पानी की कमी और हाथियों का गुस्सा
हाल ही में चम्पावत में दोगाड़ी रेंज के वनकर्मियों पर हाथियों ने हमला किया और उनकी बाइकों को नुकसान पहुंचाया। इसी तरह नैनीताल जिले के रामनगर में गर्जिया देवी मंदिर परिसर की दुकानों में भी हाथियों ने तोड़फोड़ की थी। यह सब जलाशयों में पानी की कमी के कारण हो रहा है जिससे हाथी न तो नहा पा रहे हैं और न ही उन्हें कीचड़ मिल पा रही है।