Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य जिन्हें भारतीय इतिहास में एक महान रणनीतिकार और अर्थशास्त्री के रूप में जाना जाता है. आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में जीवन के कई पहलुओं पर प्रकाश डाला है. उनकी नीतियां न केवल राजनीति बल्कि दैनिक जीवन के लिए भी मार्गदर्शक मानी जाती हैं. उन्होंने बताया है कि कुछ विशेष परिस्थितियाँ और आदतें व्यक्ति को अंदर ही अंदर जला सकती हैं.
दुष्टों के गांव में निवास
चाणक्य कहते हैं कि दुष्ट लोगों के बीच रहना व्यक्ति के लिए सबसे बड़ी हानि का कारण बनता है. ऐसे वातावरण में रहने से व्यक्ति का मानसिक संतुलन बिगड़ता है और नकारात्मक प्रभाव से उसकी आंतरिक शांति खंडित होती है.
कुलहीन लोगों की सेवा
चाणक्य ने स्पष्ट किया है कि नीच और कुलहीन लोगों की सेवा करना अधर्म के समान है. ऐसे लोगों का साथ व्यक्ति के चरित्र को भी हानि पहुँचाता है और उसे मानसिक तनाव और क्रोध का सामना करना पड़ता है.
अनुपयुक्त भोजन
खराब गुणवत्ता का भोजन न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है. चाणक्य के अनुसार ऐसा भोजन व्यक्ति को अंदर से कमजोर बनाता है.
क्रोधी पत्नी
एक क्रोधी पत्नी का होना भी व्यक्ति के जीवन में अशांति लाता है. चाणक्य कहते हैं कि ऐसी स्थिति में पुरुष बिना आग के जलता है क्योंकि घर का वातावरण ही उसे असहज बना देता है.
मूर्ख पुत्र
एक मूर्ख पुत्र भी माता-पिता के लिए गहरी पीड़ा का स्रोत बनता है. ऐसे पुत्र से जीवन में कोई सहायता या सहारा नहीं मिलता बल्कि वह और अधिक चिंताएँ और समस्याएँ ही उत्पन्न करता है.
विधवा पुत्री
चाणक्य के अनुसार यदि किसी की पुत्री विधवा हो जाती है तो समाज के ताने और दुःख उसे और उसके परिवार को गहराई से प्रभावित करते हैं. यह अनुभव भी व्यक्ति को मानसिक रूप से जलाने का कारण बनता है.
(Disclaimer: इस आर्टिकल में दी गई जानकारियां और सूचनाएं इंटरनेट से ली गई हैं। Dharataltv.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)